________________
जैन धर्म का मौलिक इतिहास
[निर्वाणस्थली
निर्वाणस्थली डॉ. जैकोबी ने बौद्ध शास्त्रों में वरिणत महावीर-निर्वाणस्थली पाचा को शाक्यभूमि में होना स्वीकार किया है, जहाँ कि अन्तिम दिनों में बुद्ध ने भी प्रवास किया था। पर जैन मान्यता के अनुसार भगवान् महावीर की निर्वाण स्थली पटना जिले के अन्तर्गत राजगृह के समीपस्थ पावा है, जिसे आज भव्य मन्दिरों ने एक जैन तीर्थ बना दिया है। किन्तु इतिहासकार इससे सहमत प्रतीत नहीं होते, क्योंकि भगवान महावीर के निर्वाण-अवसर पर मल्लों और लिच्छवियों के अठारह गण-राजा उपस्थित थे, जिनका उत्तरी विहार की पावा में ही होना संभव अँचता है, कारण कि उधर ही उन लोगों का राज्य था, दक्षिण विहार की पावा तो उनका शत्रु-प्रदेश था।
पं० राहल सांकृत्यायन ने भी इसी तथ्य की पुष्टि की है। उनका कहना है कि भगवान महावीर का निर्वाण वस्तुतः गंगा के उत्तरी अंचल में पाई हई पावा में ही हुआ था जो कि वर्तमान गोरखपुर जिले के अन्तर्गत पपूटर नामक ग्राम है । श्री नाथूराम प्रेमी ने भी ऐसी ही संभावना व्यक्त को है।
and
१ दर्शन दिग्दर्शन, पृ० ४४४, टिप्पण ३ । २ जैन साहित्य और इतिहास, पृ० १८६ ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org