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जैन धर्म कम्मिलितहास
[म] महावीर और बुद्ध के
३. बुद्ध को बोधि-प्राप्ति ईस्ज़ाना सर्वत् १०३ की वैशाख पूर्णिमा को बुधवार के दिन चन्द्रमा का विशाखा नक्षत्र के साथ योग होने के समय में हुई । क की केशास्त्री खिमा को क्षत्र के साथ योग होने के समय में
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४. कुछ का निर्वारम ईत्तामा संवत् मंगलवार के दिन चन्द्रमा का विशाखा हुआ ।
एम. गोविन्द पाई ईत्ज़ाना संवत् के कालक्रम को आबद्ध किया है :
बुद्ध का जन्म
बुद्ध द्वारा गृहत्याग बुद्ध को बोधिलाभ
बुद्ध का निर्वाण
ने बुद्ध के जीवन संबंधी 'ऊपर वरिंगत किये गये ई० सन् पूर्व के अथोरित काम के रूप में
: ई० पू० ५८१, मार्च ३०, शुक्रवार
: ई० पू० ५५३ जून १८, सोमवार ।
: ई० पू० ५४६, अप्रेल ३, बुधवार । : ई० पू० ५०१, अप्रेल १५, मंगलवार 13
इस प्रकार श्रीमद्भागवत और बर्मी बौद्ध परम्परा के उल्लेखों से बुद्ध के मातामह (नाना ) राजा अंजन एक ऐतिहासिक राजा सिद्ध होते हैं तथा बर्मी परम्परा के अनुसार ईत्ज़ाना संवत् के आधार पर उल्लिखित बुद्ध के जीवन की चार मुख्य घटनाओं के कालक्रम से बुद्ध की सर्वमान्य पूर्णा ८० वर्ष की सिद्ध होने के साथ २ यह भी प्रमाणित होता है कि बुद्ध ने २८ वर्ष की अवस्था होते ही ई० पूर्व ५५३ में दीक्षा ग्रहण की। दीक्षा ग्रहण करने के ८ वर्ष पश्चात् ई० पूर्व ५४६ में जब वे ३५ वर्ष के हुए तब उन्हें बोधि प्राप्ति हुई और ४५ वर्ष तक बौद्ध धर्म का प्रचार करने के पश्चात् ई० पूर्व ५०१ में ८० वर्ष की प्राय पूर्ण करने पर उनका निर्वाण हुआ ।
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बुद्ध के जन्म, बुद्धत्वलाभ और निर्वाणकाल को निसायिक रूप से प्रमारिणत करने वाला दूसरा प्रमाण वायुपुराण का है, जो कि आवश्यक चूि और तिब्बती वौद्ध परम्परा द्वारा कतिपय अंशों में समर्थित है । सनातन, जैन और बौद्ध परम्पराओं के युगपत् पर्यवेक्षण से बुद्ध के जन्म, बोधिलाभ और निर्वाण सम्बन्धी अब तक के विवादास्पद जटिल और पहला बने हुए प्रश्न क सदा सर्वदा के लिये हल निकल आता है ।
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4 Ibid Vol. 1P. 97 Vol. II PP. 72-73
Ibid Vol. II P. 69
3 Prabuddha Karnataka, a Karnatak Quarterly published by the Mysore University, Volume XXVII (1945-46 ) No. 1PP 92-93 the Date of Nirvana of Lord Mahaveera in Mahaveera Commemoration Volume PP 9994.
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