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________________ निर्वाण का ऐतिहासिक विश्लेषण] भगवान् महावीर ७७७ के निर्वाण से १४ वर्ष, ५ मास और १५ दिन पश्चात भगवान महावीर का' निर्वाण हुआ। इससे बुद्ध निर्वाण ई० स० पूर्व ५१२ में होना पाया जाता है। ख्यातनामा चीनी यात्री हएनत्सांग ई० सन् ६३० में भारत पाया था। उसने अपनी भारत-यात्रा के विवरण में लिखा है ___ "श्री बुद्ध देव ८० वर्ष तक जीवित रहे। उनके निर्वाण की तिथि के बिषय में बहुत से मतभेद हैं । कोई वैशाख की पूर्णिमा को उनकी निर्वाण-तिथि मानता है, सर्वास्तिवादी कार्तिक पूर्णिमा को निर्वाण-तिथि मानते हैं, कोई कहते हैं कि निर्वाण को १२०० वर्ष हो गए। किन्हीं का कथन है कि १५०० वर्ष बीत गए, कोई कहते हैं कि अभी निर्वाणकाल को १०० वर्ष से कुछ अधिक PM मुनि नगराज जी ने भगवान् महावीर और बुद्ध के निर्वाणकाल के सम्बन्ध में बहुत विस्तार से चर्चा करते हुए अनेक तर्क देकर यह सिद्ध करने का प्रयास किया है कि भगवान महावीर बद्ध से १७ वर्ष ज्येष्ठ थे और बद्ध का निर्वाण महावीर के निर्वागा से २५ वर्ष पश्चात् हुआ। उन्होंने अपने इस अभिमत की पुष्टि में अशोक के एक शिलालेख, बर्मी इत्जाना संवत् की कालगणना में बद्ध के जन्म, गृहत्याग, बोधिलाभ एवं निर्वाण के उल्लेख और अवन्ती नरेश प्रद्योत एवं बद्ध की समवयस्कता सम्बन्धी तिब्बती परम्परा, ये तीन मुख्य प्रमाण दिये हैं। पर इन प्रमारणों के आधार पर भी बद्ध के निर्वाण का कोई एक सुनिश्चित काल नहीं निकलता ।। इस प्रकार बद्ध के निर्वाणकाल के सम्बन्ध में अनेक मनीषी इतिहासवेत्ताओं ने जो उपर्युक्त बीस तरह की भिन्न-भिन्न मान्यताएं रखी हैं उनमें से अधिकांशतः तर्क और अनुमान के बल पर ही आधारित हैं। किसी ठोस, अकाट्य, निष्पक्ष और सर्वमान्य प्रमाण के अभाव में कोई भी मान्यता बलवती नहीं मानी जा सकती। हम यहाँ उन सब विद्वानों की मान्यतानों के विश्लेषण की चर्चा में क जाकर केवल उन तथ्यों और निष्पक्ष ठोस प्रमाणों को रखना ही उचित समझते हैं जिनसे कि बुद्ध के सही-सही निर्वाण समय का पता लगाया जा सकता है । हमें आज से लगभग ढाई हजार वर्ष पहले की घटना के सम्बन्ध में निर्णय करना है। इसके लिये हमें भारत की प्राचीन धर्म-परम्पराओं के धार्मिक एवं ऐतिहासिक साहित्य का अन्तर्वेधी और तुलनात्मक दृष्टि से पर्यवेक्षण करना होगा। १ भगवान् बुद्ध, पृ० ८६, भूमिका पृ० १२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002071
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year1999
Total Pages954
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, Tirthankar, N000, & N999
File Size16 MB
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