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________________ निर्वाणकाल] भगवान् महावीर ७७३ दूसरे मंत्री ने कहा- मख्खलि गोशाल संघस्वामी हैं।" अन्य ने कहा-'अजित केश कम्बली संघस्वामी हैं।" फिर दसरे मंत्री ने प्रक्रद्ध कात्यायन का और इससे भिन्न मंत्री ने संजय वेलट्टिपुत्त का परिचय दिया। एक मंत्री ने कहा-"निगण्ठ नायपुत्त संघ के स्वामी हैं । उनका सत्संग करें।" सब की बात सुनकर मगध-राज चप रहे । उस समय जीवक कौमार भृत्य से अजातशत्रु ने कहा कि तुम चुप क्यों हो ? उसने कहा-“देव ! भगवान् अर्हत मेरे आम के बगीचे में १२५० भिक्षुत्रों के साथ विहार कर रहे हैं। उनका सत्संग करें । आपके चित्त को प्रसन्नता होगी।" यहाँ पर भी पूरण काश्यप आदि को चिरकाल से साधु मौर वयोवृद्ध कहा गया है। इन तीनों प्रकरणों में महावीर का ज्येष्ठत्व प्रमाणित किया गया है। वह भी केवल वयोमान की दृष्टि से हो नहीं, अपितु ज्ञान, प्रभाव और प्रव्रज्या की दष्टि से भी ज्येष्ठत्व बतलाया गया है। इनमें स्पष्टतः बुद्ध को छोटा स्वीकार किया गया है। इन सब आधारों को देखते हुए महावीर के ज्येष्ठत्व और पूर्व निर्वाण में कोई संदेह नहीं रह जाता। __इस तरह जहाँ तक भगवान महावीर के निर्वाणकाल का प्रश्न है वह पारम्परिक और ऐतिहासिक दोनों दृष्टियों व पधारों से ई० पू० ५२७ सुनिश्चित ठहरता है। इसी विषय में एक अन्य प्रमाण यह भी है कि इतिहास के क्षेत्र में सम्राट चन्द्रगप्त का राज्यारोहण ई० पू० ३२२ माना गया है।' इतिहासकार इतिहास के इस अन्धकारपूर्ण वातावरण में इसे एक प्रकाशस्तंभ मानते हैं। यह समय सर्वमान्य और प्रामाणिक है। इसी को केन्द्रबिन्दु मानकर इतिहास शताब्दियों पूर्व और पश्चात् की घटनाओं का समय-निर्धारण करता है । __जैन परम्परा में मेरुतु ग की-"विचार श्रेणी", तित्वोगाली पइन्तय तथा तीर्थोद्धार प्रकीर्ण प्रादि प्राचीन ग्रन्थों में चन्द्रगुप्त का राज्यारोहण महावीर. - • Dr. Radha Kumud Mukherji, Chandragupta Maurya & bis times, pp. 44-6 (ख) श्री नेम पाण्डे, भारत का वृहत् इतिहास, प्रथम भाग-प्राचीन भारत, चतुर्थ संस्करण, पृ० २४२ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002071
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year1999
Total Pages954
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, Tirthankar, N000, & N999
File Size16 MB
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