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जैन धर्म का मौलिक इतिहास
[कालचक्र
यह स्थिति तृतीय पारक के प्रथम विभाग और मध्यम विभाग तक रहती है। उस प्रारक के अन्तिम विभाग के मनुष्यों का छै प्रकार का संहनन, छ प्रकार का संस्थान, कई सौ धनुष की ऊँचाई, जघन्य संख्यात वर्ष की और उत्कृष्ट असंख्यात वर्ष की प्रायुष्य होती है। उस समय के मनुष्यों में से अनेक नरक में, अनेक तिर्यंच योनि में, अनेक मनुष्य योनि में, अनेक देव योनि में और अनेक मोक्ष में जाने वाले होते हैं ।
उस तीसरे पारे के अन्तिम विभाग के समाप्त होने में जब एक पल्योपम का आठवाँ भाग अवशेष रह जाता है, उस समय भरत क्षेत्र में क्रमश: १५ कुलकर' उत्पन्न होते हैं।
उस समय कालदोष से कल्पवृक्ष उस समय के मानवों के लिये जीवनोपयोगी सामग्री अपर्याप्त मात्रा में देना प्रारम्भ कर देते हैं, जिससे उनमें शनै:शनैः आपसी कलह का सूत्रपात हो जाता है। कुलकर उन लोगों को अनुशासन में रखते हुए मार्गदर्शन करते हैं । प्रथम पाँच कुलकरों के काल में हाकार दण्डनीति, छठे से १०वें कुलकर तथा 'माकार' नीति और ग्यारहवें से १५वें कुलकर तक 'धिक्कार' नीति से लोगों को अनुशासन में रखा जाता है।
तीसरे आरे के समाप्त होने में जिस समय चौरासी लाख पूर्व, तीन वर्ष और साढ़े आठ मास अवशेष थे, उस समय प्रथम राजा, प्रथम तीर्थंकर भगवान् ऋषभदेव का जन्म हुआ। भगवान् ऋषभदेव ने ६३ लाख पूर्व तक सुचारु रूप से राज्यशासन चला कर उस समय के मानव को असि, मसि और कृषि के अन्तर्गत समस्त विद्याएं सिखा कर भोगभूमि को पूर्णरूपेण कर्मभूमि में परिवर्तित कर दिया।
___ इस अवसर्पिणी काल में सर्वप्रथम धर्म-तीर्थ की स्थापना भगवान ऋषभदेव ने की। तीसरे बारे में प्रथम तीर्थंकर और प्रथम 'चक्रवर्ती हुए। तृतीय पारे के समाप्त होने में तीन वर्ष और साढ़े आठ मास अवशेष रहे, तब भगवान् ऋषभदेव का निर्वाण हुआ।
दुषमा-सुषम नामक चतुर्थ प्रारक बयालीस हजार वर्ष कम एक कोड़ाकोड़ी सागर का होता है। इस बारे में तृतीय प्रारक की अपेक्षा वर्ण, गन्ध, रस और स्पर्श के पर्यायों की तथा उत्थान, कर्म, बल, वीर्य, पुरुषाकार और पराक्रम की अनन्तगुनी अपकर्षता हो जाती है। इस चतुर्थ प्रारक में मनुष्यों के छहों प्रकार के संहनन, छहों प्रकार के संस्थान, बहुत से धनुष की ऊँचाई, जघन्य अन्तमुहूर्त की ओर उत्कृष्ट पूर्वकोटि की आयु होती है तथा वे मर कर पाँचों प्रकार की गति में जाते हैं। १ जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति में भगवान् ऋषभदेव को पन्द्रहवें कुलकर के रूप में भी माना गया है ।
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