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जैन धर्म का मौलिक इतिहास [संगम देव के (२) वज्रमुखी चींटियाँ उत्पन्न की, जिन्होंने काट-काट कर महावीर के
___ शरीर को खोखला कर दिया। (३) डाँस और मच्छर छोड़े, जो प्रभु के शरीर का खून पीने लगे। (४) दीमक उत्पन्न की- जो शरीर को काटने लगीं। (५) बिच्छुओं द्वारा डंक लगवाये । (६) नेवले उत्पन्न किये जो भगवान् के मांस-खण्ड को छिन्न-भिन्न
करने लगे। (७) भीमकाय सर्प उत्पन्न कर प्रभु को उन सो से कटवाया। (८) चूहे उत्पन्न किये, जो शरीर को काट-काट कर ऊपर पेशाब कर
जाते। (६-१०) हाथी और हथिनी प्रकट कर उनको सडों से भगवान के
शरीर को उछलवाया और उनके दाँतों से प्रभु पर प्रहार करवाये। (११) पिशाच बन कर भगवान को डराया धमकाया और बी मारने
लगा। (१२) बाघ बन कर प्रभु को नखों से विदारण किया। (१३) सिद्धार्थ और त्रिशला का रूप बना कर करुणविलाप करते
दिखाया। (१४) शिविर की रचना कर भगवान के पैरों के बीच आग जला कर
भोजन पकाने की चेष्टा की। (१५) चाण्डाल का रूप बना कर भगवान् के शरीर पर पक्षियों के पिंजर
लटकाये जो चोंचों और नखों से प्रहार करने लगे। (१६) अाँधी का रूप खड़ा कर कई बार भगवान् के शरीर को उठाया। (१७) कलंकलिका वायु उत्पन्न कर उससे भगवान् को चक्र की तरह
घुमाया। (१८) कालचक्र चलाया जिससे भगवान् घुटनों तक जमीन में धंस गये । (१९) देव रूप से विमान में बैठ कर पाया और बोला-"कहो तुमको
स्वर्ग चाहिए या अपवर्ग (मोक्ष) ? और (२०) एक अप्सरा को लाकर भगवान् के सम्मुख प्रस्तुत किया, किन्तु
उसके रागपूर्ण हाव-भाव से भी भगवान् विचलित नहीं हुए। रात भर के इन भयंकर उपसर्गों से भी जब भगवान् विचलित नहीं हुए तो संगम कुछ और उपाय सोचने लगा। महावीर ने भी ध्यान पूर्ण कर
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