________________
मण्डल के साहित्य मंत्री श्री प्रेमराजजी बोगावत का एवं ग्रन्थ को सुन्दर बनाने में डॉ. नरेन्द्र भानावत का सहयोग भी भुलाया नहीं जा सकता। और भी ज्ञात, अज्ञात, छोटे-बड़े कार्यों में जिन-जिन का सहयोग रहा है, उन सबका नाम पूर्वक स्मरण यहाँ संभव नहीं है।
भाव, भाषा और सिद्धान्त का यथाशक्य खयाल रख्ते हुए भी मानव स्वभाव की अपूर्णता के कारण यदि कोई त्रुटि रह गई हो तो उसके लिए "मिच्छामि दुक्कडं ।' विद्वज्जन सुहृद्भाव से उन त्रुटियों की सूचना करेंगे तो भविष्य में उन्हें सुधारने का ध्यान रखा जा सकेगा।
(द्वितीय संस्करण से साभार उदृत )
Jain Education International
( ३३ )
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org