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जैन धर्म का मौलिक इतिहास
[रुक्मिणी आदि का नेमि
रुक्मिणी, सत्यभामा आदि रानियों ने श्रीकृष्ण की आज्ञा को सहर्ष शिरोधार्य करते हए कहा-"महाराज! बड़े-बड़े योगियों को भी योगमार्ग से विचलित कर देने वाली रमणियों के लिए यह कोई कठिन कार्य नहीं है । हम हमारे प्रिय देवर को विवाह करने के लिए अवश्य सहमत कर लेंगी।"
रुक्मिणी आदि का नेमिकुमार के साथ वसन्तोत्सव श्रीकृष्ण के संकेतानुसार रुक्मिणी, सत्यभामा प्रादि ने वसंत-क्रीड़ा के निमित्त रेवताचल पर एक कार्यक्रम प्रायोजित किया। निविकार नेमिनाथ को भी अपने बड़े भाई कृष्ण द्वारा आग्रह करने पर वसन्तोत्सव में सम्मिलित होना पड़ा।
वसन्तोत्सव के प्रारम्भ में रुक्मिणी, सत्यभामा आदि रानियों ने विविध रंगों और सुगन्धियों से मिश्रित पानी पिचकारियों और डोलियों में भर-भर कर कृष्ण और नेमिनाथ पर बरसाना प्रारम्भ किया । कृष्ण ने भी उन्हें उन्हीं के द्वारा लाये गये पानी से सराबोर कर दिया।
कृष्ण द्वारा किये गये जलधारा प्रपात से विचलित होकर भी वे बारबार कृष्ण को चारों ओर से घेर कर पद्मपराग मिश्रित जल की अनवरत धाराओं से भिगोती हुई खिलखिलाकर हँसतीं। किन्तु कृष्ण और रानियों की विभिन्न प्रकार की क्रीड़ाओं से नेमिकुमार आकृष्ट नहीं हुए। वे निर्विकार भाव से सारी लीला को देखते रहे, केवल अपनी भाभियों के विनम्र निवेदन का मान रखने कभी-कभी उनके द्वारा उँडेले गये पानो के उत्तर में उन पर कुछ पानी उड़ेल देते।
___ बड़ी देर तक विविध हासोल्लास से फाग खेला जाता रहा । वारिधाराओं की तीव्र बौछारों से सब के नेत्र लाल हो चुके थे । अब सभी रानियाँ मिल कर नेमिनाथ के साथ फाग खेलने लगीं। निविकार रूप से नेमिकुमार भी अपने पर अनेक बार पानी उँडेलने पर उत्तर-प्रत्युत्तर के रूप में एक दो बार उन पर पानी उछाल देते। ___अपने प्रिय छोटे भाई नेमिकुमार को फाग खेलते देख कर कृष्ण अलग. हो, सरोवर में जल-क्रीड़ा करने लगे। फिर क्या था, अब तो सभी सुन्दरियों ने प्रापस में सलाह कर नेमिनाथ को अपना मुख्य लक्ष्य बना लिया। वे उन्हें मोह राग और भोग-मार्ग में प्राकर्षित कर वैवाहिक बन्धन में बाँधने का दृढ़ संकल्प लिए नारी-लीला का प्रदर्शन करने लगीं।
सभी रानियां दिव्य वस्त्राभूषणादि से षोडश अलंकार किये रूप-लावण्य में सुरवधुओं को भी तिरस्कृत करती हुई चारुहासों, तीक्ष्ण-तिरछे चितवनों
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