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जैन धर्म का मौलिक इतिहास [अरिष्टनेमि का शौर्य-प्रदर्शन प्रद्युम्न, शाम्ब और वसुदेव के मित्र विद्याधर राजाओं ने वहीं पर युद्ध में उलझाये रखा था। जरासन्ध की पराजय और मृत्यु के समाचार सुन कर जरासन्ध के समर्थक सभी विद्याधर राजा वसुदेव के चरण-शरण में प्रा गये। प्रद्युम्न एवं शाम्ब के साथ उन्होंने अपनी कन्याओं का विवाह कर दिया। अब वे सब यहाँ आ रहे हैं।
यादवों के शिविर में महाराज समुद्रविजय आदि सभी यादव-प्रमुख विद्याधरियों के मुख से वसुदेव मादि के कुशल-मंगल और शीघ्र ही आगमन के समाचार सुनकर बड़े प्रसन्न हुए । थोड़ी ही देर में वसुदेव, प्रद्युम्न, शाम्ब और मुकुटधारी अनेक विद्याधरपति वहां आ पहुंचे और सबने समुद्रविजय आदि पूज्यों के चरणों में सिर झुकाया ।
यादव-सेना ने अपनी महान् विजय के उपलक्ष्य में बड़े ही समारोह के साथ प्रानन्दोत्सव मनाया । अपने इस प्रानन्दोत्सव की याद को चिरस्थायी बनाने के लिए यादवों ने अपने शिविर के स्थान पर सिनपल्ली ग्राम के पास सरस्वती नदी के तट पर प्रानन्दपुर नामक एक नगर बसाया ।'
तदनन्तर तीन खण्ड की साधना करके श्रीकृष्ण समस्त यादवों और यादव-सेनाओं के साथ द्वारिकापुरी पहुंचे और सभी यादव वहां विविध भोगोपभोगों का आनन्दानुभव करते हुए बड़े सुख से रहने लगे।
__ महाराज समुद्रविजय, महारानी शिवादेवी और सभी यादव-मुख्यों ने कुमार अरिष्टनेमि से बड़े दुलार के साथ विवाह करने का अनेक बार अनुरोध किया, पर कुमार अरिष्टनेमि तो जन्म से ही संसार से विरक्त थे। उन्होंने हर बार विवाह के प्रस्ताव को गम्भीरतापूर्वक यह कहकर टाल दिया-"नारी वास्तव में भवभ्रमण के घोर दुःखसागर में गिराने वाली है। मैं संसार के भवचक्र में परिभ्रमण करते-करते बिल्कुल पक चुका हूं, अब इस विकट भवाटवी में भटकने का कोई काम करू', ऐसी किंचित् भी इच्छा नहीं है। मतः मैं इस विवाह के चक्र से सदा कोसों दूर ही रहूंगा।" समुद्रविजयजी को नेमकुमार को मनाने में सफलता नहीं मिली।
परिष्टनेमिका मलौकिक वन ____एक दिन कुमार परिष्टनेमि यादव कुमारों के साथ घूमते हुए वासुदेव । कृष्ण की प्रायुधशाला में पहुंच गये । उन्होंने वहां ग्रीष्मकालीन मध्याह्न के सूर्य के समान प्रतीव प्रकाशमान सुदर्शन चक्र, शेषनाग की तरह भयंकर शाङ्ग धनुष, कौमोदकी गदा, नन्दक तलवार और वृहदाकार पांचजन्य शंख को देखा। १ ............."तत्रानन्दपुरं चके सिनपल्लीपदे पुरम् ॥२६॥
[त्रिषष्टि शलाका पुरुष परित्र, पर्व, ८, सर्ग, क]
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