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________________ तृतीय काल के चौरासी लाख पूर्व, ३ वर्ष, ८ मास और एक पक्ष शेष रहने पर भगवान् ऋषभदेव का जन्म हुआ। १. भगवान ऋषभदेव की उत्पत्ति के पश्चात् पचास लाख करोड़ सागर और बारह लाख पूर्व बीत जाने पर भगवान् अजितनाथ का जन्म हुआ। भगवान् अजितनाथ की उत्पत्ति के पश्चात् ३० लाख करोड़ सागर और बारह लाख पूर्व वर्ष व्यतीत होने पर भगवान् संभवनाथ का जन्म हुआ। भगवान् संभवनाथ के जन्म के पश्चात् १० लाख करोड़ सागर और १० लाख पूर्व बीत जाने पर भगवान् अभिनन्दन का जन्म हुआ। भगवान् अभिनन्दन की उत्पत्ति के पश्चात् ९ लाख करोड़ सागर और दस लाख पूर्व व्यतीत हो जाने पर भगवान् सुमतिनाथ का जन्म हुआ। भगवान सुमतिनाथ के जन्म के अनन्तर ९० हजार करोड़ सागर और १० लाख पूर्व वर्ष बीत जाने पर भगवान पद्मप्रभ का जन्म हुआ। भगवान् पद्मप्रभ के जन्म के पश्चात ९ हजार करोड़ सागर और १० लाख पूर्व व्यतीत होने पर भगवान् सुपार्श्वनाथ का जन्म हुआ। भगवान सुपार्श्वनाथ की उत्पत्ति के ९०० करोड़ सागर और १० लाख पूर्व वर्ष बीतने पर भगवान् चन्द्रप्रभ का जन्म हुआ। भगवान् चन्द्रप्रभ के जन्म के पश्चात् ९० करोड़ सागर और ८ लाख पूर्व वर्ष व्यतीत हो जाने पर भगवान् सुविधिनाथ (पुष्पदंत्त) का जन्म हुआ। भगवान् सुविधिनाथ के जन्म से ९ करोड़ सागर और एक लाख पूर्व वर्ष पश्चात् भगवान् शीतलनाथ का जन्म हुआ। भगवान शीतलनाथ के जन्म के अनन्तर एक करोड़ सागर और एक लाख पूर्व में एक सौ सागर एवं एक करोड़ पचास लाख छब्बीस हजार वर्ष कम समय व्यतीत होने पर भगवान् श्रेयांसनाथ का जन्म हुआ। भगवान् श्रेयांसनाथ के जन्म के पश्चात् चौवन सागर और १२ लाख वर्ष बीतने पर भगवान् वासुपूज्य का जन्म हुआ। १२. भगवान् वासुपूज्य के जन्म के पश्चात् ३० सागर और १२ लाख वर्ष बीतने पर भगवान् विमलनाथ का जन्म हुआ। भगवान् विमलनाथ के जन्म के अनन्तर ९ सागर और ३० लाख वर्ष व्यतीत होने पर भगवान् अनन्तनाथ का जन्म हुआ। (२०) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002071
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year1999
Total Pages954
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, Tirthankar, N000, & N999
File Size16 MB
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