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________________ ३०८ ___ जैन धर्म का मौलिक इतिहास [नामकरण उपस्थित लोगों ने सहर्ष राजा की बात का समर्थन किया और आपका नाम नमिनाथ रखा गया। विवाह और राज्य नमिनाथ के युवावस्था को प्राप्त होने पर महाराज विजय ने अनेक सुन्दर और योग्य, राजकन्याओं के साथ नमिनाथ का पाणिग्रहण करवाया और दो हजार पांच सौ वर्ष की अवस्था होने पर राजा ने बड़े ही सम्मान और समारोह के साथं कुमार नमि का राज्याभिषेक किया। नमिनाथ ने भी पांच हजार वर्ष तक राज्य का पालन कर जन-मन को जीतकर अपना बना लिया। बाद में भोग्य कर्मों को क्षीण हुए जानकर उन्होंने दीक्षा ग्रहण करने का विचार किया । मर्यादा के अनुसार लोकान्तिक देवों ने आकर प्रभु से तीर्थ-प्रवर्तन के लिए प्रार्थना की। दीक्षा प्रोर पारणा एक वर्ष तक निरन्तर दान देकर नमिनाथ ने राजकुमार सुप्रभ को राज्यभार सौंप दिया और स्वयं एक हजार राजकुमारों के साथ सहस्राम्र वन की ओर दीक्षार्थ निकल पड़े। वहां पहुंचकर छट्ठ भक्त की तपस्या से विधिवत् सम्पूर्ण पापों का परित्याग कर प्राषाढ़ कृष्णा नवमी को उन्होंने दीक्षा ग्रहण की। दूसरे दिन विहार कर प्रभु वीरपुर पधारे और वहां के महाराज 'दत्त' के यहां परमान से प्रथम पारणा ग्रहण किया। दान की महिमा बढ़ाने हेतु देवों ने पंचदिव्य बरसाये और महाराज दत्त की कीर्ति को फैला दिया। केवलज्ञान नौ मास तक विविध प्रकार की तपस्या करते हुए प्रभु छद्मस्थचर्या में विचरे और फिर उसी उद्यान में पाकर वोरसली वृक्ष के नीचे ध्यानावस्थित हो गये। वहां मगशिर कृष्णा एकादशो' को शुक्ल-ध्यान की प्रचण्ड अग्नि में सम्पूर्ण धातिकर्मों का क्षय किया और केवलज्ञान, केवलदर्शन की उपलब्धि कर प्रभु-भाव-अरिहन्त कहलाये। केवली होकर देवासुर-मानवों की विशाल सभा में आपने धर्म-देशना दी और चतुर्विध संघ की स्थापना कर प्रभ भाव-तीथंकर बन गये। व धर्म-परिवार भगवान् नमिनाथ के संघ में निम्न धर्म-परिवार थागण एवं गणधर -सत्रह गरण (१७) एवं सत्रह ही (१७) गगधर १ ""मावश्यक नियुक्ति और सत्तरिसय द्वार में मार्गशीर्ष शु. ११ है Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002071
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year1999
Total Pages954
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, Tirthankar, N000, & N999
File Size16 MB
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