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________________ धर्म परिवार भ० श्री मल्लिनाथ २८७ मल्लिनाथ ने चतुर्विध धर्मतीर्थ की स्थापना की। मिथिलेश महाराज कुम्भ ने तीर्थकर भगवान् मल्लिनाथ से श्रावकधर्म और महारानी प्रभावती ने श्राविकाधर्म अंगीकार किया। भगवान् मल्लिनाथ की प्रथम देशना सुनकर जितशत्रु मादि छहों राजामों को संसार से पर्ण विरक्ति हो गई। उन छहों राजाओं ने प्रभ के पास श्रमणधर्म की दीक्षा ग्रहण की । आगे चलकर वे चतुर्दश पूर्वधर मोर तदनन्तर केवली हो कर अन्त में सिद्ध-बुद्ध-मुक्त हुए । धर्मदेशना के पश्चात् मनुष्य, देव प्रादि की परिषद् अपने अपने स्थान को लौट गई । चार प्रकार के देव नन्दीश्वर द्वीप में प्रभु के केवलज्ञान का प्रष्टाह्निक महोत्सव मनाने के लिये चले गये। चतुर्विध धर्मतीर्थ की स्थापना कर प्रभु भावतीर्थकर कहलाये। तदनन्तर भगवान् मल्ली तीर्थंकर सहस्रांम्रवन उद्यान से विहार कर अन्य क्षेत्रों में अप्रतिहत विहार करते हुए अनेक भव्यों का उद्धार करने लगे। तीर्थकर भगवान मल्लिनाथ का देह मान २५ धनुष ऊंचा, प्रियंगु (जामुन) के समान नीला, शरीर का संस्थान समचतुरस्त्र और संहनन वचऋषभ नाराच था। उन्होंने ५४६०० वर्षों तक अनेक क्षेत्रों में विचरण करते हुए अनेक भव्यों को धर्म मार्ग पर प्रारूढ़ कर उनका कल्यारण किया । भगवान् मल्लिनाथ के प्रथम शिष्य एवं प्रमुख गणधर का नाम भिषक और समस्त साध्वी संघ की प्रतिनी प्रथम शिष्या का नाम बन्धुमती था। भगवान मल्लिनाथ के अतिरिक्त ऋषभादि तेवीसों तीर्थंकरों के एक ही प्रकार की परिषद् थी। किन्तु तीर्थकर मल्लिनाथ के साध्वियों की आभ्यन्तर परिषद् और साधुनों की बाह्य परिषद्-इस भांति दो प्रकार की परिषदें थीं।' धर्म-परिवार भगवान् मल्लिनाथ के धर्मसंघ में निम्नलिखित धर्म परिवार था:गण एवं गणधर - अट्ठाईस (२८) गण एवं अट्ठाईस (२८) ही गणधर केवली - तीन हजार दो सौ (३,२००) westant १ तिहिं इत्थीसएहि अभितरियाए परिसाए तिहिं पुरिससएहिबाहिरियाए परिसाए सदि मुंडेभवित्ता पब्वइए....। -ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र, मध्ययन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002071
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year1999
Total Pages954
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, Tirthankar, N000, & N999
File Size16 MB
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