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द्वारा वर्षीदान] भ० श्री मल्लिनाथ
२८३ लोकान्तिक देव भगवती मल्ली के पास उपस्थित हए और आकाश में खड़े रह उन्होंने प्रभु को अंजलि सहित शिर झुका कर प्रणाम करने के पश्चात् प्रार्थना की-“हे लोकनाथ प्रभो! आप भव्य जीवों को बोध दो, चतुर्विध धर्मतीर्थ का प्रवर्तन करो। वह धर्मतीर्थ संसार के प्राणियों के लिये हितकर, सुखकर और निःश्रेयस्कर अर्थात् मोक्षदायक हो।" लोकान्तिक देवों ने तीन बार प्रभु मल्ली से इस प्रकार की प्रार्थना की और तदनन्तर प्रभु को वन्दन-नमन कर वे अपनेअपने स्थान को लौट गये।
इस प्रकार लोकान्तिक देवों द्वारा सम्बोधित होने के पश्चात प्रभ मल्ली अपने माता-पिता के पास आये । हाथ जोड़कर उन्होंने माता-पिता के चरणों में नमस्कार कर कहा- "हे अम्ब-तात! मैं माप लोगों से आज्ञा प्राप्त कर मुण्डित हो प्रवजित होना चाहती हूं।"
महाराज कुम्भ और महारानी प्रभावती-दोनों ने ही अपनी पुत्री भगवती मल्ली की बात सुनकर कहा-"देवानप्रिये ! जिससे तुम्हें सुख हो वही करो। विलम्ब मत करो।" अपनी पुत्री को प्रवृजित होने की आज्ञा प्रदान कर महाराज कुम्भ ने अपने कौम्बिक पुरुषों को बुलाकर उन्हें एक हजार आठ (१००८) स्वर्ण कलश, रौप्य कलश, मणिमय कलश, स्वर्ण-रौप्य कलश, स्वर्ण-मरिण निर्मित कलश, रौप्य-मरिण निर्मित कलश, स्वर्ण-रौप्य-मरिण निर्मित कलश, मिट्टी के कलश तथा तीर्थंकर के निष्क्रमणाभिषेक के लिये आवश्यक सभी प्रकार की अन्यान्य सामग्री शीघ्र ही उपस्थित करने की आज्ञा दी। महाराजा कुम्भ की आज्ञा का पालन करते हुए कौटुम्बिक पुरुषों ने उनके निर्देशानुसार कलशादि सभी सामग्री तत्काल वहां ला प्रस्तुत की।
उस समय चमरेन्द्र से लेकर अच्युतेन्द्र पर्यन्त ६४ इन्द्र महाराज कुम्भ के राजप्रासाद में प्रा उपस्थित हुए । देवराज शक्र ने पाभियोगिक देवों को स्वर्ण, मरिण आदि से निर्मित १००८ कलश और तीर्थकर के अभिनिष्क्रमरणाभिषेक के सभी प्रकार के विपुल साधन वहां प्रस्तुत करने की आज्ञा दी। आभियोगिक देवों ने देवराज शक की आज्ञानुसार सभी प्रकार की सामग्री वहां प्रस्तुत कर दी और उसे महाराज कुम्भ द्वारा एकत्रित किये गये कलशों आदि के साथ रख दिया।
अभिनिष्क्रमणाभिषेक के लिये आवश्यक सभी प्रकार की सामग्री के यथास्थान रख दिये जाने के पश्चात् देवराज शक्र और महाराज कुम्भ ने अर्हत् मल्ली को अभिषेक सिंहासन पर पूर्वाभिमुख बैठाया। तदनन्तर देवराज शक ने और महाराज कुम्भ ने उन अष्टोत्तर एक एक हजार कलशों से भगवान् मल्ली का अभिषेक किया। जिस समय भगवान् मल्ली का अभिषेक किया जा
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