________________
[धर्म-परिवार
भगवान् श्री शान्तिनाथ
२४१
धर्म-परिवार भगवान् शान्तिनाथ का धर्म-परिवार निम्न प्रकार था :गण एवं गैरणधर - छत्तीस [३६] केवली
- चार हजार तीन सौ [४,३००] मनःपर्यवज्ञानी - चार हजार [४,०००]] अवधिज्ञानी
- तीन हजार [३,००० चौदह पूर्वधारी -आठ सौ [८००] वैक्रिय लब्धिधारी - छः हजार [६,०००] वादी
- दो हजार चार सौ [२,४००] साधु
- बासठ हजार [६२,०००] साध्वी
- इकसठ हजार छ: सौ [६१,६००] श्रावक
-दो लाख नब्बे हजार [२,९०,०००] श्राविका
- तीन लाख तिरानवे हजार [३,९३,०००]
परिनिर्वाण प्रभु ने एक वर्ष कम पच्चीस हजार वर्ष केवली-पर्याय में विचर कर लाखों लोगों को कल्याण का संदेश दिया। फिर अन्तकाल समीप जानकर उन्होंने नौ सौ साधनों के साथ एक मास का अनशन किया और ज्येष्ठ कृष्णा त्रयोदशी को भरणी नक्षत्र में चार अघाति-कर्मों का क्षय कर सम्मेत-शिखर पर सिद्ध, बुद्ध, मुक्त होकर निर्वाण-पद प्राप्त किया । आपकी पूर्ण आयु एक लाख वर्ष की थी।
000
-
१ (क) प्रावश्यक नि० दीपिका प्र० भा०, पृ० ६७ (१), गा० २६७
(ख) समवायांग, समवाय ९ में ६० गणधर होने का उल्लेख है।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org