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परिनिर्वाण]
भगवान अजितनाथ
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साधु साध्वी श्रावक श्राविका
एक लाख (१,००,०००) तीन लाख तीस हजार (३,३०,०००) दो लाख अठानवे हजार (२,६८,०००) पांच लाख पैंतालीस हजार (५,४५,०००)
परिनिर्वाण
अन्त में बहत्तर लाख पूर्व की आयु पूर्ण कर प्रभु अजितनाथ एक हजार मुनियों के माथ सम्मेत शिखर पर एक मास के अनशनपूर्वक चैत्र शुक्ला पंचमी को मृगशिर नक्षत्र में सिद्ध बुद्ध-मुक्त हुए। वही आपका निर्वाण दिवस है। ____ आपने अठारह लाख पूर्व कुमार अवस्था में तिरेपन लाख पूर्व से कुछ अधिक समय राज्य-शासक की अवस्था में, बारह वर्ष छद्मस्थ अवस्था में और कुछ कम एक लाख पूर्व केवली पर्याय में बिताये।
चिरकाल तक आपका धर्म-शासन जयपूर्वक चलता रहा. जिममें असंख्य प्रात्माओं ने अपना कल्याण किया ।
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