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________________ १२४ जैन धर्म का मौलिक इतिहास [बाहुबली का घोर तप खिला वदन मुरझा गया, पर दीमकों की मिट्टी से ढक गये ।' इतना सब कुछ होने पर भी उन्हें केवलज्ञान का आभास तक नहीं हुआ। त्रिकालदर्शी प्रभु ऋषभदेव ने मुनि बाहुबली की इस प्रकार की मन:स्थिति देख, उन्हें प्रतिबोध देने हेतु ब्राह्मी और सुन्दरी को उनके पास भेजा। __ दोनों साध्वियां तत्काल बाहुबली के पास जाकर प्रेरक मृदु स्वर में उनसे बोली-“भाई ! हाथी से नीचे उतरो, हाथी पर बैठे केवलज्ञान की प्राप्ति नहीं होती।" __ बाहुबली साध्वियों को बात सुनकर विचारने लगे-"मैं हाथी पर कहाँ बैठा हूं ? किन्तु साध्वियां कभी असत्य नहीं बोलतीं। अरे समझा, ये ठीक ही कहती हैं, मैं अभिमान रूपी हाथी पर आरूढ़ हूं।" . इस विचार के साथ ही सरल भाव से ज्योंही बाहबली ने अपने छोटे भाइयों को नमन करने के लिये पैर उठाये कि उन्हें केवलज्ञान प्राप्त हो गया। केवली बनकर वे भगवान के समवसरण में गये और वहां नियम के अनुसार प्रभु को वन्दन कर केवली-परिषद् में बैठ गये।। प्राचार्य जिनसेन ने लिखा है कि बाहबली एक वर्ष तक ध्यान में स्थिर रहे, परन्तु उनके मन में यह विचार बना रहा कि उनके कारण भरत के मन में संक्लेश हुआ है। उनके वार्षिक अनशन के पश्चात् भरत के द्वारा क्षमायाचनापूर्वक वन्दन करने पर उनका मानसिक शल्य दूर हुआ और उन्होंने केवलज्ञान प्राप्त किया। भरत द्वारा ब्राह्मण वर्ण की स्थापना प्राचार्य जिनसेन के मतानुसार ब्राह्मण वर्ण की उत्पत्ति इस प्रकार बतलाई गई है कि कुछ समय के पश्चात् भरत चक्रवर्ती पद पर आसीन हुए तो उनके मन में विचार पाया कि उन्होंने दिग्विजय कर विपुल वैभव एवं साधन एकत्रित किये हैं। अन्य लोग भी रातदिन परिश्रम कर अपनी शक्तिभर धनार्जन करते हैं । इस प्रकार परिश्रम से उपार्जित सम्पत्ति का उपयोग किन्हीं ' संवच्छरं अच्छई काउसग्गेण वल्लीवितारणेणं वेढियो पाया य निग्गएहिं भयंगेहिं --प्राव० म० वृ०, पृ० २३२ (१)-- २ तातो व अलियं न भरणति । -आवश्यक चूणि, पूर्व भाग, पृ० २११3 महापुराण, ३६। १८६-८८। २१७ द्वि० भाग Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002071
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year1999
Total Pages954
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, Tirthankar, N000, & N999
File Size16 MB
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