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________________ १२२ जैन धर्म का मौलिक इतिहास [अहिंसात्मक युद्ध दूसरी ओर बाहुबली भी अपनी विशाल सेना के साथ रणांगण में प्रा डटे । दोनों ओर की सेनाओं के बीच युद्ध कुछ समय तक होता रहा । पर युद्ध में होने वाले जनसंहार से बचने के लिए बाहुबली ने भरत के समक्ष सुझाव रखा कि क्यों नहीं वे दोनों भाई-भाई ही मिलकर निर्णायक द्वन्द्व युद्ध कर लें। दोनों के एकमत होने पर दृष्टि-युद्ध, वाग्-युद्ध, मुष्टि-युद्ध और दंड-युद्ध द्वारा परस्पर बल-परीक्षण होने लगा। दोनों भाइयों के बीच सर्वप्रथम दृष्टि-युद्ध हुआ, उसमें भरत की पराजय हुई । तत्पश्चात् क्रमश: वाग्युद्ध, बाहु-युद्ध और मुष्टि-युद्ध में भी भरत पराजित हो गये। तब भरत सोचने लगे-"क्या बाहुबली चक्रवर्ती है, जिससे कि मैं कमजोर पड़ रहा हूँ ?" । उनके इस प्रकार विचार करते ही देवता ने भरत के समक्ष अमोघ प्रायुध चक्ररत्न प्रस्तुत किया । छोटे भाई से पराजित होने पर भरत को गहरा आघात लगा, अतः आवेश में आकर उन्होंने बाहुबली के शिरश्छेदन के लिये चक्ररत्न का प्रहार किया। बाहबली ने भरत को प्रहार करते देखा तो वे गर्व के साथ ऋद्ध हो उछले और उन्होंने चक्र को पकड़ना चाहा। पर तत्क्षण उनके मन में विचार पाया कि तुच्छ काम-भोगों के लिये उन्हें ऐसा करना योग्य नहीं। भाई मर्यादाभ्रष्ट हो गया है तो भी उन्हें धर्म छोड़कर भ्रातृवध जैसा दुष्कर्म नहीं करना चाहिये ।' भरत के ही परिवार के सदस्य व चरमशरीरी होने के कारण चक्ररत्न भी बाहुबली की प्रदक्षिणा करके पीछे की ओर लौट गया ।२।। बाहबली की इस विजय से गगन विजयघोषों से गूंज उठा और भरत मन ही मन बहुत लज्जित हुए । हेमचन्द्र के त्रिषष्टि शलाका पुरुष चरित्र में इस सन्दर्भ को निम्न रूप से प्रस्तुत किया गया है : ' (क) प्राव०नि० मलयवृत्ति गा० ३२ से ३५ प० २३२ (ख) प्राव० चू०प० २१० २ न चक्रं चक्रिणः शक्त, सामान्येऽपि सगोत्रजे।। विशेषतस्तु चरमशरीरे नरि तादृशे ॥७२३।। चक्र चक्रभृतः पाणि, पुनरप्यापपात तत् ।....७२४।। [त्रिषष्टि श. पु. चरित्र, पर्व १, सर्ग ५] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002071
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year1999
Total Pages954
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, Tirthankar, N000, & N999
File Size16 MB
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