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________________ ६४ (३२) अरणावुट्ठी न भवइ (३३) दुब्भिक्खं न भवइ (३४) पुव्वुप्परगा वि य गं उप्पाइया वाही खप्पमिव उवसमंति ।" जैन धर्म का मौलिक इतिहास ( १ ) स्वेदरहित तन (२) निर्मल शरीर ( ३ ) दूध की तरह रुधिर का श्वेत होना ( ४ ) अतिशय रूपवान् शरीर ( ५ ) सुगन्धित तन · : दिगम्बर परम्परा में ३४ अतिशयों का वर्णन इस प्रकार किया गया है : जन्म के १० अतिशय 3 : २ केवलज्ञान के १० प्रतिशय : १) भगवान् विचरें वहां-वहां सौसौ कोस तक सुभिक्ष होना ( ईति नहीं होना ) [ तीर्थंकरों की विशेषता जहां-जहां भगवान् विचरण करें, वहांवहां अनावृष्टि नहीं होती। जहां-जहां भगवान् विचरण करें, वहांवहां दुर्भिक्ष नहीं होता । जहां-जहां भगवान् विचरण करें, वहांवहां पूर्वोत्पन्न उत्पात भी शीघ्र शान्त हो जाते हैं। Jain Education International ( ६ ) प्रथम उत्तम संहनन ( ७ ) प्रथम उत्तम संस्थान ( एक हजार आठ (१००८) लक्षण ८) ( 8 ) (१०) ( २ ) ( ३ ) सुत्तागम पृ० ३४५-४६ [ समवायांग, समवाय १११] पाठान्तर में काला, अगरु आदि से गद्यमद्यायमान रमणीय भू-भाग को उन्नीसवां और तीर्थंकर के दोनों ओर दो यक्षों द्वारा चँवर ढुलाने को बीसवां अतिशय माना है किन्तु वृहद्बाचना में नहीं होने से इन्हें यहां स्वीकार नहीं किया है । दूसरे से पाँचवें तक चार अतिशय जन्म के, १६ ( उन्नीस ) देवकृत और ग्यारह केवलज्ञानभावी माने हैं । [ समवायांग वृत्ति ] नित्यं निःस्वेदत्वं, निर्मलता क्षीरगौररुधिरत्वं च । स्वाद्याकृति संहनने, सोरूप्यं सौरमं च सौलक्ष्यम् ॥ १ ॥ प्रमितवीर्यता च प्रियहित-वादित्वमन्यदमित गुणस्य । प्रथिता दश ख्याता स्वतिशयधर्मा स्वयंभुवोदहस्य || २ || * गव्यूतिशत चतुष्टय - सुभिक्षता- गगन-गमनमप्राणिवधः । मुक्त्युपसर्गाभावश्चतुरास्यत्वं च सर्वविद्येश्वरता ॥ ३ ॥ श्रच्छायत्वमपक्ष्म स्पन्दश्च समप्रसिद्ध - नखकेशत्वम् । स्वतिशयगुणाः भगवतो घातिक्षयजाः भवंति तेऽपि दशैव || ४ || अमित बल हित- प्रिय वचन | आकाश में गमन भगवान् के चरणों में प्राणियों का निर्भय होना For Private & Personal Use Only [ नन्दीश्वर भक्ति ] www.jainelibrary.org
SR No.002071
Book TitleJain Dharma ka Maulik Itihas Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHastimal Maharaj
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year1999
Total Pages954
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, Story, Tirthankar, N000, & N999
File Size16 MB
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