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________________ यापनीय साहित्य : ८३ धवला में भी मात्र यही कहा गया है कि आचार्य परम्परा से आती हुई ये सूत्रगाथाएँ आर्य मंक्षु और नागहस्ती को प्राप्त हुईं, पुनः उन दोनों के पाद-मूल में बैठकर गुणधर आचार्य के मुख कमल से निकली हुयी उन १८० गाथाओं के अर्थ को सम्यक् प्रकार से श्रवण कर यतिवृषभ भट्टारक ने प्रवचन वात्सल्य के लिए चूर्णिसूत्रों की रचना की । इस कथन से इतना तो अवश्य फलित होता है कि गुणधर को यह कृति आर्य मंक्षु और नागहस्ती के माध्यम से ही परवर्ती आचार्यों को प्राप्त हुई है । आर्य मंक्षु और नागहस्ती का उल्लेख दिगम्बर परम्परा की किसी भी प्राचीन पट्टावली में उपलब्ध नहीं होता जबकि श्वेताम्बर परम्परा के नन्दीसूत्र के वाचक वंश की स्थविरावली में आर्य मंक्षु को श्रुतसागर का पारंगत और नागहस्ती को व्याकरण अर्थात् प्रश्नव्याकरण, करणभंगी अर्थात् पिण्डशुद्धि के ज्ञाता होने के साथ-साथ कर्मप्रकृति का प्रधान रूप से ज्ञाता भी कहा गया है । इन्हें आर्य नन्दिल का परवर्ती माना जाता है । नागहस्ती आर्य मंक्षु के प्रशिष्य थे अथवा परम्परा - शिष्य थे, यह विवादास्पद है । ज्ञातव्य है कि नन्दीसूत्र एवं माथुरीवाचना की स्थविरावली" में आर्य क्षु (मंग) आर्य नन्दिल और आर्य नागहस्ती (नागहत्थि) के उल्लेख हैं; उसके अनुसार नागहस्ती आर्य मंक्षु के प्रशिष्य प्रतीत होते हैं— क्योंकि उसमें आर्य मंक्षु के पश्चात् आर्य नन्दिल और उसके पश्चात् आर्य नागहस्ती का उल्लेख है । किन्तु अन्य पट्टावलियों के आधार पर वे आर्य मंक्षु के १. गुणहर - वयण - विणिग्गय गाहाणत्थोऽवहारियो । सव्वो जेणज्जमंखुण सो सणागहत्थी वरं देऊ । जयधवला ( मंगलाचरण) ७ जो अज्जम खुसीस अंतेवासी वि णागहत्थिस्स । सो वित्तिसुत्तकत्ता जइवसहो मे वरं देऊ ॥ ३. भणगं करगं झरगं पभावगं णाण-दंसण गुणाणं । वंदामि अज्जमंगु सुयसागरपारंग धीरं ॥ ४. वड्ढउ वायगवंसो जसवंसो अज्जणागहत्थीणं । वागरण - करणभंगिय-कम्मप्पयडीपहाणाणं 11 Jain Education International वही (मंगलाचरण ) ८ देखें - पट्टावली पराग संग्रह ( कल्याणविजय ) पु० ४६ । For Private & Personal Use Only ( नन्दी सूत्र ) २८ वही ३० www.jamnelibrary.org
SR No.002068
Book TitleJain Dharma ka Yapniya Sampraday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1996
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Religion
File Size10 MB
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