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________________ ३८ : जैनधर्म का यापनीय सम्प्रदाय उल्लिखित हुए हैं-बाहुबलिदेव, रविचन्द्र स्वामी, अर्हन्नन्दी, शुभचन्द्र, मुनिचन्द्र और प्रभाचन्द्रदेव । ये प्रभाचन्द्रदेव 'न्यायकूमदचन्द्र' के कर्ता प्रभाचन्द्र से भिन्न शाकटायन व्याकरण पर 'न्यास' के कर्ता हैं। ज्ञातव्य है कि पाल्यकीर्ति शाकटायन भी यापनीय संघ के आचार्य थे। सौंदत्ति के ही अन्य बिना काल निर्देश के अभिलेख में रविचन्द्र स्वामी और अर्हन्नन्दी का उल्लेख है।' यह अभिलेख सम्भवतः ११वीं शताब्दी के उत्तराद्धं का है। इसी प्रकार सौंदत्ति के ही अन्य अभिलेख का निर्देश डॉ० पी० बी० देसाई ने किया है। जिसमें इस गण के शुभचन्द्र 'प्रथम', चन्द्रकीर्ति, शुभचन्द्र 'द्वितीय', नेमिचन्द्र, कुमारकीर्ति, प्रभाचन्द्र और नेमिचन्द्र 'द्वितीय' का उल्लेख है । ___इसी प्रकार बेलगांव जिले के लोकापुर नामक स्थान के एक अभिलेख में यापनीय संघ के कण्डूरगण के सकलेन्दु सैद्धान्तिक के शिष्य अभयसिद्धान्तचक्रवर्ती नागचन्द्रसूरि के उपदेश मे एक मूर्ति की स्थापना का निर्देश है। बन्दलिके के १०७४ ई० के अन्य अभिलेख में काणूरगण का उल्लेख है किन्तु इसमें इसे मूलसंघान्वय का गण कहा है इसमें परमानन्दि सिद्धान्तदेव के शिष्य कुलचन्द्रदेव को शान्तिनाथ मन्दिर के लिए भूमिदान का निर्देश है। इसी प्रकार अदरगुंचि धारवाड़ के एक अभिलेख में यापनीय संघके कण्डूरगण के एक मन्दिर की भूमि की सीमाओं का उल्लेख है।" __ इस प्रकार हम देखते हैं कि ई० सन् की दसवीं शताब्दी से १३वीं शताब्दी तक इस गण के अस्तित्व की हमें सूचना मिलती है। ई० सन् १०७४ के बन्दलिके के अभिलेख में तथा १०७५ के कुप्पटूर के अभिलेखमें इस गण का सम्बन्ध मूलसंघ (जैन शि० सं०४/२९१) के साथ बताया गया है। इसके आधार पर डॉ० गुलाबचन्द्र चौधरी ने यह अनुमान लगाया है कि १. जैनशिलालेखसंग्रह, भाग २, ले० क्र. २०५ २. Jainism in South India by P. B. Desai p. 165 ३. जैनशिलालेखसंग्रह, भाग ५, ले० क्र० ११७ ४. वही, भाग २, ले० क्र० २०७ ५. (अ) वही, भाग ४, ले० क्र० ३६८ (ब) देखें-यापनीय और उनका साहित्य, कुसुम पटोरिया, पृ० ७३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002068
Book TitleJain Dharma ka Yapniya Sampraday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1996
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Religion
File Size10 MB
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