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________________ यांपनीय साहित्य : १३३ मुक्तिविचार' में प्रभाचन्द ने इसका उल्लेख श्वेताम्बर सिद्धान्त के रूप में किया है । ३ - मूलाचार की 'सेज्जोगासणिसेज्जा' आदि ३९१वीं गाथा और आराधना की ३०५वीं गाथा एक ही है । इसमें कहा है कि वैयावृत्ति करने वाला मुनि रुग्ण मुनि का आहार औषधि आदि से उपकार करे । इसी गाथा के विषय में कवि वृन्दावनदास को शंका हुई थी और उसका निवारण करने के लिए उन्होंने दीवान अमरचन्दजी को पत्र लिखा था । समाचार अधिकारी 'गच्छे वेज्जावच्चं' आदि १७४वीं गाथा की टीका में भी वैयावृत्ति का अर्थ शारीरिक प्रवृत्ति और आहारादि से उपकार करना लिखा है - ' वेज्जावच्च वैयावृत्यं कायिकव्यापाराहारादिभिरूप ग्रहणम् ।' ४ - भगवती आराधना की ४१२वीं गाथा के समान इसकी भी ३८७ वीं गाथा' में आचार - जीत - कल्प ग्रन्थों का उल्लेख है जो यापनीय और श्वेताम्बर परम्परा के हैं और उपलब्ध भी हैं । ९- गाथा २७७-७८-७९ में कहा है कि संयमी मुनि और आर्यिकाओं को चार प्रकार के सूत्र कालशुद्धि आदि के बिना न पढ़ना चाहिए। इनसे अन्य आराधना, निर्युक्ति, मरणविभक्ति, संग्रह, स्तुति, प्रत्याख्यान, आवश्यक और धर्मकथा आदि पढ़ना चाहिए। ये सब ग्रन्थ मूलाचार के कर्ता के समक्ष थे, परन्तु कुन्दकुन्द की परम्परा के साहित्य में इन नामों के ग्रन्थ उपलब्ध नहीं हैं । ६ - मूलाचार की ' बावीस तित्थपरा" और सषडिक्कमणो धम्मो इन दो गाथाओं में जो कुछ कहा गया है, वह कुन्दकुन्द की परम्परा में अन्यत्र कहीं नहीं कहा गया है । ये ही दो गाथाएँ भद्रबाहुकृत आवश्यक निर्युक्ति में हैं और वह श्वेताम्बर ग्रन्थ है । १. आयारजी दकप्पगुणदीवणा अप्पसोघि णिज्झंझा । अज्जव मद्दव- लाघव-वुट्टी पल्हादणं च गुणा ॥ ३८७ २. आराहणणिज्जत्ती मरणविभत्ती य संगहत्थुदिओ । पच्चक्खाणावासय धम्मकहाओ य एरसिओ ।। २७९ उवदिसंति । ३. बावीसं तित्थ परा सामाइयसंयमं छेत्रावणियं पुण भयवं उसहो उसहो य वीरो य ।।७-३६ ४. सपडिक्कमणो धम्मो पुरिमस्स य पच्छिमस्स जिणस्स । अवराहपडिक्कमणं Jain Education International मज्झिमयाणं जिणवराणं ।। ७-१९. For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002068
Book TitleJain Dharma ka Yapniya Sampraday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1996
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Religion
File Size10 MB
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