SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 220
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ શ્રત ઉપાસક રમણભાઈ है पश्चात् जैन पारिभाषिक शब्दकोष तैयार करना है, शायद प्रारंभ किया ही होगा। बम्बई के हमारे पांच चातुर्मास में भी पुन: पुन: आपका आगमिक मार्गदर्शन मिलता रहा । महाकौशल प्रदेश बालाघाट में भूतकालिन शिबिर छात्र सम्मेलन में आपका प्रेरक प्रभाविक उद्बोधन रहा । महाकौशल जैन श्वे. मूर्तिपूजक संघ के आमंत्रित अतिथि रहे । दूसरी बार रायपुर में छात्राओं की शिबिर में संघ के आमंत्रण से आप सपत्नी पधारे थे । सहज सरल उद्बोधन में प्रभाविकता थी । तीसरी बार चार दिन का प्रवास रहा । चित्रकूट आदि स्थान पर्यटन साथी भाई राजेन्द्र घीया थे तब भी घंटों तक कितनी अनुभव वार्ता का रसपान कराया जो आज भी स्मृतिपट में चिरस्थायी है । सांसारिक बडे भ्राता के रुप में अवश्य सहज हितचिंतक के रुप में हमारे संयमी जीवन के बहुमान साथ औचित्यपूर्ण व्यवहार रहा । बृहद् भगिनी परम पूज्या कुसुमश्रीजी म. सा. से आपने काफी ज्ञानचों से जीवन को भावित किया था । पादरा निवासी अमृतलाल वनमालीदास कुटुम्ब के गौरवपुत्र पिता चीमनभाई शाह के कुलदीपक चि. रमणभाई पार्थिव शरीर से हमारे मध्य नही रहे किन्तु आपके सत्साहित्य रुप विरासत हमारे साथ है । उक्तं चपरिवर्तिनी संसारे, मृत: को वा न जायते । स जातो येन जातेन, याति वंश समुन्नतिम् ।। परिवर्तनशील संसार में जन्म साथ मृत्यु अविनाभावि है किन्तु जन्म उनका ही सार्थक है जिनके द्वारा कुटुम्ब, संघ, समाज गौरवान्वित है । 'ज्ञान क्रियाभ्याम् मोक्षः तत्त्वार्थ का सूत्र आपके जीवन में चरितार्थ था । आप कहते थे विदेश प्रवास से पूर्व सिद्धगिरि की यात्रा का भाव रहता है । तथा वहां विशिष्ट व्यक्ति को प्रदान करने हेतु प्रायः परमात्मा की प्रतिमा साथ ले आते थे। हम पालीताणा थे तब पुत्र अमिताभ का अध्ययन हेतु शायद प्रवास होगा, तब प्लेन से भावनगर होकर पालीताणा तीर्थयात्रा तथा हमारे दर्शन लाभ का भी खास निर्देश आपका रहा । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002035
Book TitleShruta Upasak Ramanbhai C Shah
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanti Patel
PublisherMumbai Jain Yuvak Sangh
Publication Year2006
Total Pages600
LanguageGujarati, Hindi, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati & Biography
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy