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________________ सम्बन्धभूत कृदन्त ७१ है। क्त्वा प्रत्यय प्रत्येक धातु से होता है। यह पूर्वकालिक अर्ध क्रिया है । इसके साथ दूसरी क्रिया का होना आवश्यक है । वाक्य में क्रिया के साथ कर्म आता है वैसे ही इस अर्धक्रिया का भी कर्म आता है। नियम ७१ (क्त्वस्तुम तूण तुआणाः २११४६) संस्कृत के क्त्वा प्रत्यय और क्त्वा के स्थान पर यप् (ल्यप् ) प्रत्यय को प्राकृत में तुं, अत् (अ), तूण और तुआण ये चार प्रत्यय होते हैं। पूर्ववर्ती नियम के अनुसार तुं, तूण, और तुआण प्रत्ययों के योग में पूर्ववर्ती अ को ए तथा इ विकल्प से होता है । इत्ता, इत्ताण, आय तथा आए-ये चार प्रत्यय क्त्वा के स्थान पर अर्धमागधी में और मिलते हैं । तुआण प्रत्यय भी अर्धमागधी में मिलता है । नियम ७२ (क्त्वा स्यादेणं स्वोर्वा ११२७) तूण, तुआण और इत्ताण प्रत्ययों के 'ण' शब्द के ऊपर अनुस्वार विकल्प से होता है। तुं [७] प्रत्यय-हस्-हसितुं, हसेतु, हसिउ, हसेउ (हसित्वा) हंसकर हो-होतुं, होइत, होएतं, होउ, होइउ, होएउ (भूत्वा) होकर तूण [ऊण]प्रत्यय-हस्- हसितूण, हसेतूण । हसिऊण हसेऊण । हसितूणं हसेतूणं । हसिऊणं, हसेऊणं ।। हो--होइतूण, होइतूणं । होएतूण, होएतूणं । होतूण, होतूणं । होइऊण, होइऊणं । होएऊण, होएऊणं । होऊण, होऊणं । तुआण [आण] प्रत्यय-हसितुआण, हसितुआणं । हसेतुआण, हसे तुआणं । हसिउआण, हसिउआणं । हसेउआण, हसेउआणं । हो -- होतुआण, होतुआणं । होउआण, होउआणं । होइतुआण, होइतुआणं । होइउआण, होइउआणं । होएतुआण, होएतुआणं । होएउआण, होएउआण। अप्रत्यय-हसिअ, हसेउ। हो-होइअ, होएअ, हो । इत्ता प्रत्यय--हसित्ता, हसेत्ता। कृ---करित्ता, करेत्ता, (कृत्वा) करकर। इत्ताण प्रत्यय-हसित्ताण, हसेत्ताण, हसित्ताणं, हसेत्ताणं । करित्ताण, करेत्ताण, करित्ताणं, करेत्ताणं, (कृत्वा) करकर । आय प्रत्यय---गह-गहाय (गृहीत्वा) ग्रहणकर । आए प्रत्यय-आया---आयाए (आदाय) लेकरके । संपेहाए (संप्रेक्ष्य) ___ अच्छी तरह देखकर। ऊपर हस् धातु और हो धातु के क्त्वा प्रत्यय के रूप दिए गए हैं। व्यंजनान्त धातुओं के हस् धातु की तरह और स्वरान्त धातुओं के हो धातु की तरह रूप चलते हैं। पिछले पाठ में तुम् प्रत्यय के लिए जो नियम दिए गए हैं, वे क्त्वा प्रत्यय के लिए भी हैं, इसलिए उनके नियमों को न बुहराकर कुछेक धातुओं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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