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________________ २२ सम्बन्धभूत कृदन्त (क्त्वा प्रत्यय) शब्द संग्रह (पत्रालय वर्ग) पत्र--पत्तं मनीआर्डर----धणाएसो (सं) पत्रपेटी, लेटरबक्स--पत्ताही (पु) (सं) पार्शल-पासलो (सं) पोस्टआफिस-पत्तालयो (सं) रजिष्ट्री-पंजिआ (सं) प्रमुख डाकघर----पमुहपत्तालयो (सं) पोस्टमास्टर-पत्तालयाहिअक्खो (सं) तार-तुरिअसूअओ (सं) जनरलपोस्टमास्टर--पत्तालयाहीसो (सं) तारघर-तुरिअसूअणालयो (सं) डाकिया---पत्तवाहओ लिफाफा--आवेट्टणं (सं) धातु संग्रह पासिऊण- देखकर गच्छिऊण-जाकर इच्छिऊण- इच्छाकर सुणिऊण-सुनकर पुच्छिऊण—पूछकर भुंजिऊण-भोजनकर झाऊण-ध्यानकर सयिऊण----सोकर जाणिऊण जानकर सेविऊण-सेवाकर हसिऊण-हंसकर ठाऊण-ठहरकर दाऊण--देकर गिहिऊण-ग्रहणकर णमिऊण-नमनकर कहिऊण--कहकर पाऊण---पाकर लिहिऊण—लिखकर अव्यय संग्रह वीसु (विष्वक् )--सब ओर से णिचं, निच्चं (नित्यं )---नित्य तहा, तह (तथा)--वैसे, उस प्रकार से णोचेअ (नो एव)---नहीं तो अत्थं (अस्तं)--अस्त होना, छिपना अत्थु (अस्तु) हो ज, त, क, एअ, इम, अमु शब्द नपुंसक लिंग में याद करो । देखोपरिशिष्ट १ संख्या ४४ ग, ४५ ग, ४६ ग, ४८ ग, ४७ ग, ४६ ग) क्त्वा प्रत्यय __ जब' कर्ता एक कार्य पूर्ण करके दूसरा कार्य करता है तो पहले किए गए कार्य के लिए संबंधभूत कृदन्त (क्त्वा प्रत्यय) का प्रयोग किया जाता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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