________________
८८
प्राकृत वाक्यरचना बोध
धातु प्रयोग
तुम्हाणं गिहे खादि अन्नमवि नत्थि । एगं पदमवि गमित्तए नत्थि मे सत्ती । मंगलकाले को रोविउंलग्गो। इमो कालो जग्गिउ अस्थि । नायं समयो परोप्परं विवदित्तए । अहुणा तुम कि काउ इच्छसि त्ति पटू कह ? मुणिणा जणाणं कल्लाणं काउंपयण्णो कयो। साहू आयरियं अणुणे उगओ। सो सुमिणस्स अट्ठ घेत्तुं सुविणसत्थपाढयस्स घरं गओ । अवसरो अस्थि अप्पाणं पयासिउ । सो अवमाणं अवलोइउन सक्कइ । इमं कज्ज तुए विणा को अण्णो काउ सक्कइ । अव्यय प्रयोग
सो मग्गतो कहं गच्छइ ? सा सज्जं जंपइ । अप्पा पेच्च गच्छड । सो सिय महरो सिय रुक्खो य अत्थि । मणयं भोयणं न हाणिअरं भवइ । सो अत्थ मुहु कहं आगच्छइ ? तुज्झ तत्थ गमणं मोरउल्ला अस्थि । प्राकृत में अनुवाद करो
. यह समय विवाद करने के लिए नहीं है । आचार्य तुलसी ने महिलाओं को जगाने के लिए प्रयत्न किया। मंगलसेन की एक शब्द भी बोलने की शक्ति नहीं है। यह समय काम करने के लिए है । इस समय आप क्या खाना चाहते हैं ? श्रेयांस गुरु को प्रार्थना करने के लिए गया है। प्रभा प्रथम आने के लिए पढने का प्रयत्न करती है । उनको लेकर श्रेयांस गाने के लिए सभा में गया। दूसरे गांव जाने के समय रोना उचित नहीं है। अरुणा ने जगाने के लिए प्रयास किया। शास्त्र को जानने वाला कल्याण का कार्य करता है । तुम्हारे बिना लिखने का कार्य कोई दूसरा नहीं कर सकता । कुसुम अपमान को सह नहीं सकता । वह विवाद के लिए दूसरे गांव जाता है । परस्पर प्रेम पूर्वक रहना चाहिए । तुम्हारा कल्याण हो । हमारे धर्मशास्त्र जिनप्रणीत हैं। इस प्रश्न का उत्तर जैन विद्या जानने वालों से मांगो । अपना कार्य स्वयं करो। राष्ट्र भाषा किसको प्रिय नहीं लगती है । उसको बोध देने के लिए तुझे प्रयत्न करना चाहिए। उसे स्वप्न में बुरे विचार आते हैं। सबके पास स्मरण शक्ति है । प्रेमलता स्पष्ट बोलती है। उसकी सभा में पांच सौ तियासी आदमी थे। अव्यय का प्रयोग करो
थोडा पढ़ा लिखा भयंकर होता है । व्यर्थ में किसी के साथ विवाद मत करो। पीछे से वह तुम्हारी निंदा करता है । परलोक में जीव कर्म सहित जाता है । उसको पढने के लिए बार-बार मत कहो । कथंचित् आत्मा नित्य है। प्रश्न का उत्तर शीघ्र दो । अवधान में प्रश्न का उत्तर शीघ्र कौन देता
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org