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________________ ५७२ प्राकृत वाक्यरचना बोध (२५)जूर, विसूर, खिज्ज खेलना-देखो क्रीडा करना खोजना-देखो ढूंढना खोदना-खण (२८) खोदना (पत्थर आदि पर अक्षर आदि लिखना)-उक्किर (८२) कहना--आलोअ (६७) गूंथना---गुभ (५०) गण्ठ (१०४) ग्रहण करना-ओग्गह (९) आइ (४२) आया(४३)पत्त (५०)पगिह (६६)पडिगाह (७४)पडिच्छ (७४) लय (८४) वल, गेह, हर, पङ्ग, निरुवार, अहिपच्चुअ (१०७) ग्रहण करना (अच्छी तरह)-सुसमा हर (७३) सारक्ख (६४) ग गति करना-दव (५७) वा (६०) गमन करना-दूइज्ज (५६) देखो जाना गरजना-घुरुक्क (५०) थण (५४) गज्ज (१०४) गरजना सांड का-ढिक्क (१०३) गर्म करना-ताव (३६) गलना-गल (४८) णिटुह, विगल घिसना (रगडना)-घस्स (५०) घुडकना–धुरुक्क (५०) घूमना-गम (६) अट्ट (२४) विहर (२५) विचर (२६)परिअट्ट (३२) पडिभम (७६) आहिंड (६६) घुल, घोल, घुम्म, पहल्ल (१०४) घृणा करना----दुगुञ्छ (११)झुण, दुगुच्छ, जुगुच्छ (१००) गले लगाना-आलिंग (४४) गाना-गा(४६) गा (१००) गाली देना-अक्कोस (३५) सव (५२)पडिकोस (७४) गिनती करना—कल (४६) संखा गिरना-पड (७) पक्खल (६८) पडिक्खल (७४) फिड, फिट्ट, फुड, फुट्ट, चुक्क, भुल्ल, भंस चक्र की तरह घूमना-आवट्ट (६७) चखना-चक्ख (५१) आसाअ (६८) चढना-चंप (५१) दुरुह (५८) चउ, वलग्ग, आरुह (१०७) चबाना-चर (३१) चमक देना-ओप्प (२७) चमकना-दिप्प (५८) धिप्प (६६) अग्घ, छज्ज, सह, रीर, रेह, राय (१०३) चमकाना-लस (८५) सोह (९४) गीला करना-थिम (३८) गुजरना-अइया (५६) गुनना-गुण (४६) गुरु को अपना अपराध Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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