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________________ परिशिष्ट ६ आदर करना-आढा(१५)आअर (४२)पडिसंध (७८) सन्नाम (१०२) आना-आगच्छ (११) आया (४३) आव, आवड, आवत्त (६७) आहम्म (६६) अहिपच्चुअ इकट्ठा करना-चिण (५१) संचिण (६६) आरोल, वमाल, पुज (१०३) इच्छा करना-इच्छ (६)अहिलस (१३) इधर-उधर घूमना-चकंप (५१) आपीडन करना-आवील (६४) आमर्श करना-आमुस (६२) आरंभ करना-आरंभ (३७) आढव, आरभ (१०५) आराधना करना-आराह (१८) ___ आरज्झ (४३) आरूढ होना--दुरुह (५८) आरोपित करना-आरोव (१८) आलस्य करना-पमय (३०) आलिंगन करना--आलिंग (४४) सिलेस (६२)आवआस (६७) सामग्ग, अवयास, परिस उखाडना-उप्फाल (४७) उचित होना-कप्प (३१) उच्चारण करना-पडिउच्चार(७३) उछल कर नीचे गिरना-पच्चोणिवय (७१) उछलना-उप्फिड (१८) उक्कुद्द (१६) फंफ (६१) उत्थल्ल आलोचना करना-आलोअ (६७) आवागमन करना-आवड (६७) आवाज करना-कव (४६) देखो शब्द करना आशा करना-आसास (६६) आश्रय करना-आलंब (४४) आश्वासन देना-आसास(८१) आसक्त होना---आली (४४) गिज्झ उठना-उट्ठ १६) उकुक्कुर (१००) उठाना-उप्फाल (४७) अल्लत्थ, अब्भुत्त, उस्सिक, हक्खुव, उक्खिव (१०५) उडना-उड्डी (२६) उत्कीर्ण करना-उक्किर (८२) उत्तर देना--उत्तर (३४) पडिमंत (७६) पडिवक्क (७७)पडिसाह (४६) आसक्ति का प्रारंभ करना-पगिज्झ उत्पन्न होना-अहिजाअ(११) पच्चाया (७०) रोह (८४)वक्कम (८७) उदास होना-दुम्मण (५८) उद्दीपित करना-पडिसंजल (७८) उद्विग्न हीना--दुम्मण (५८) उन्नत करना---थंग (५४) आस्फोटन करना-अक्खोड (८१) आह्वान करना-आयार (४३) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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