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प्राकृत वाक्य रचना बोध
कंकोल-कंकोलो
मौलसिरी---बउलो कपूर-कप्पूरो
वासंती- णवमालिआ कस्तूरी----कत्थूरी, कत्थूरिआ सिन्दूर-सिन्दूरं कुंदरु-कुंदुरुक्को
स्त्रीवर्ग (पाठ ७७ से ८०) केवडाजल-केअइजलं केसर--कुंकुमं
अच्छे केश वाली-एसी
अध्यापिका-उवज्झायणी खस-उसीरं
अप्सरा-किंनरी गुलाबजल-पाडलजलं गूगल-गुग्गुलो
उपपत्नी-अहिविण्णा चंदन-चंदणो
ऊंचे नाक वाली-तुंगणासिआ तगर-तगरो, टगरो
कामी स्त्री-कामुआ नख---नखं (सं)
कुलटा--कुलडा, अज्झा मुलहठी- लट्ठिमहु (सं)
क्षत्रियाणी-खत्तिआणी लोहबान-लोवाणो (सं)
गंध द्रव्य बेचने वाली-गंधिआ शिलारस-सिल्हगं
गाने वाली-मेहरिआ, मेहरी सुगंधबाला--हिरिबेरो
गृहपत्नी- गिहिणी
चंचला स्त्री-चवला सुगंधित पत्र पुष्प वाले पौधे व लता
चंडालिनी-आइंखिणिया (पाठ ६२)
चतुरस्त्री-णिउणा अगस्ति-अगत्थियो
जादूगरी-किच्चा अडहुल-जासुमणो
ज्योतिषीस्त्री-- गणई कमल---पोम्म
दासी–दासी कूजा--कुज्जयो
दूती-अंतीहरी केवडा-केअगो
धनी की स्त्री----धणपत्ती, धणमंती गुलाब-पाडलो
धाई-- धाई, धारी चंपा-चंपा, चंपयो
धीवर की स्त्री-धीवरी चमेली - जाई, मालई
नटी-नडी जही-जुही, जूहिआ
नर्तकी--णट्टई तिलक-तिलगो, तिलयो
नायिका-णाविआ तुलसी--तुलसी
नौकरानी--दुल्ल सिआ दौना-दमणगो, दमणगं
पटरानी-महिसी मरुआ---मरुअगो, मरुवयो, मरुअओ पनिहारी--पाणिअहारी मोगरा-मल्लिआ
परतंत्रस्त्री-आविउज्झा (दे०)
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