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________________ ५२८ प्राकृत वाक्यरचना बोध ठाव (ष्ठा) अंग के वर्तमानकाल के रूप एकवचन बहुवचन प्र०पु० ठावइ, ठावए ठावहि, ठावन्ति, ठावन्ते, ठावइरे म०पु० ठावहि, ठावसि , ठावसे ठावहु, ठावह, ठावइत्था । उ०पु० ठावउ, ठावमि, ठावामि ठावहुं, ठावम, ठावाम, ठाविम ठावेमि ठावेम, ठावमो, ठावामो, ठाविमो ठावेमो, ठावमु, ठावामु, ठाविमु ठावेमु ठाअ (ष्ठा) विधि एवं आज्ञा के रूप एकवचन बहुवचन प्र०पु० ठाअउ, ठाएउ ठाअन्तु, ठाएन्तु म०पु० ठाइ, ठाए, ठाउ, ठाअ, ठाअहि ठाअह, ठाएह ठाएहि, ठाअसु, ठाएसु उ०पु० ठाअमु, ठाएमु ठाअमो, ठाआमो, ठाएमो ठाव अंग (ष्ठा) विधि एवं आज्ञा के रूप एकवचन बहुवचन प्र.पु० ठावउ, ठावेउ ठावन्तु, ठावेन्तु म०पु० ठावि, ठावे, ठावु, ठाव, ठावहि ठावह, ठावेह ठावेहि, ठावसु, ठावेसु उ०पु० ठावमु, ठावेमु ठावमो, ठावामो, ठावेमो ठाअ (ष्ठा) भविष्यत्काल के रूप एकवचन बहुवचन प्र०पु० ठाएसइ, ठाएसए, ठाइहिइ ठाएसहिं, ठाएसन्ति, ठाइहिहिं ठाइहिए ठाइहिन्ति म०पु० ठाएसहि, ठाएससि , ठाइहिहि ठाएसहु, ठाएसह, ठाएसइत्था ठाइहिसि ठाइहिहु, ठाइहिह, ठाइहित्था उ०पु० ठाएसउ, ठाएसमि, ठाइहिउ ठाएसहुँ, ठाएसमो, ठाएसमु, ठाएसम ठाइहिमि ठाव अंग (ष्ठा) भविष्यत्काल के रूप एकवचन बहुवचन प्र.पु० ठावेसइ, ठावेसए, ठाविहिइ ठावेसहि, ठावेसन्ति, ठाविहिहिं ठाविहिए ठाविहिन्ति म०पु० ठावेसहि, ठावेससि , ठाविहिहि ठावेसहु, ठावेसह, ठावेसइत्था ठाविहिसि ठाविहिहु, ठाविहिह, ठाविहित्था Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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