________________
परिशिष्ट ४
५२७
हसिस्सिसि, हसेस्सिसि हसिसह, हसेसह, हसिस्सिह, हसेस्सिह हसिससे, हसेससे, हसिस्सिसे हसिसध, हसेसध, हसिस्सिध, हसेस्सिध हसेस्सिसे
हसिसइत्था, हसेसइत्था, हसिस्सिइत्था
हसेस्सिइत्था उ०पु० हसिस, हसेस, हसिस्सिउ हसिसहं, हसेसहं, हसिस्सिहं, हसेस्सिहुं
हसेस्सिउ, हसिसमि, हसेसमि हसिसमो, हसेसमो, हसिस्सिमो हसिस्सि मि, हसेस्सि मि हसेस्सिमो, हसिसमु, हसेसमु, हसिस्सिमु
हसेस्सिमु, हसिसम, हसेसम, हसिस्सिम
हसेस्सिम
भूतकाल अपभ्रंश में भूतकाल को व्यक्त करने के लिए भूतकालिक कृदन्त का प्रयोग होता है। भूतकालिक कृदन्त अकारान्त होता है। स्त्रीलिंग बनाने के लिए उसमें आ प्रत्यय जोडा जाता है। इनके रूप पुंलिंग में देव शब्द, स्त्रीलिंग में माला शब्द और नपुंसकलिंग में कमल शब्द की तरह चलते हैं।
हस् (हस्) भूतकाल के रूप एकवचन
बहुवचन पुंलिंग हसिद, हसिदा, हसिदो, हसिदु हसिद, हसिदा, हसिअ, हसिआ
हसिअ, हसिआ, हसिओ, हसिउ स्त्रीलिंग हसिदा, हसिद, हसिआ हसिदा, हसिद, हसिदाउ, हसिदउ हसि
हसिदाओ, हसिदओ, हसिआ, हसिअ हसिआउ, हसिअउ, हसिआओ
हसिअओ नपुंसकलिंग हसिदु, हसिद, हसिदा हसिद, हसिदा, हसिदई, हसिदाई
हसिउ, हसिअ, हसिआ हसिअ, हसिआ, हसिअइं, हसिआई
हस् (हस्) क्रियातिपत्ति के रूप अपभ्रंश में क्रियातिपत्ति के रूप प्राकृत के समान होते हैं।
ठाअ (ष्ठा)धातु वर्तमानकाल के रूप - एकवचन
बहुवचन प्र०पु० ठाअइ, ठाअए
ठाअहिं, ठाअन्ति, ठाअन्ते, ठाइरे म०पु० ठाअहि, ठाअसि , ठाअसे ठाअहु, ठाअह, ठाइत्था उ०पु० ठाउँ, ठाअमि, ठाआमि ठाअहुं, ठाअम, ठाआम, ठाइम ठाएमि
ठाएम, ठाअमो, ठाआमो, ठाइमो ठाएमो, ठाअमु, ठाआमु, ठाइमु ठाएमु
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org