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देश्य शब्द
शब्द संग्रह (देश्य) दवरिया-छोटी रस्सी
दाढिया-दाढी दारद्धंता-पेटी, संदूक
दालिअं-नेत्र दसु (पुं)-शोक, दिलगिरी
दिअलिओ-मूर्ख दिअहुत्तं--दुपहरका भोजन
पडिच्छदो--मुख पडिखद्धो (वि)-मारा हुआ
पडिभेयो-उपालंभ, निंदा पडलगं-टोकरी
पडाली-घर के ऊपर की कच्ची छत, चटाई आदि से छाया हुआ स्थान
धातु संग्रह (वेश्य) अंगोहल-स्नान करना
अच्छुर-बिछाना अल्ल-चिल्लाना
__ अल्लव-समर्पण करना अक्कोस---आक्रोश करना
अप्फोड--ताली बजाना मपुंसक लिंग के इकारान्त दहि और उकारान्त मधु शब्द को याद करो। देखो-परिशिष्ट १ संख्या ३१,३२ वेश्य
प्राकृत भाषा में शब्द दो प्रकार के होते हैं-संस्कृतसम और देश्य । जो शब्द संस्कृत के शब्दों से पूर्ण अथवा कुछ समानता रखते हैं उन्हें संस्कृतसम कहते हैं। जो शब्द अति प्राचीन होने के कारण व्युत्पत्ति की दृष्टि से संस्कृत भाषा और प्राकृत भाषा से सिद्ध नहीं होते, उन्हें देश्य शब्द कहते हैं । प्राकृत भाषा में जो धातुओं के आदेश हैं वे देश्य नहीं है।
वेद आदि प्राचीन शास्त्रों में तथा संस्कृत भाषा के साहित्य में और कोषों में देश्य शब्दों का प्रयोग बहुलता से प्राप्त होता है। देश्य शब्दों में द्राविड भाषा के भी शब्द है । हिन्दी, गुजराती और राजस्थानी भाषा से मिलते-जुलते अनेक शब्द मिलते हैं । देश्य शब्दों की तरह देश्य धातुएं (क्रियापद) भी होती हैं।
नियम ३ (गौणावयः २११७४)-गौण आदि शब्द निपात हैं। प्रकृति (मूलशब्द) प्रत्यय, लोप, आगम, वर्ण विकार आदि जिनमें नहीं होते उन्हें निपात कहते हैं । गोणो (गौः) ल । गावी (गावः) गया । बइल्लो (बलिवर्दः) बैल ।
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