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परिशिष्ट १
सुरेआ
द्वि० भत्तारं
भत्तुणो, भत्तू, भत्तारे, भत्तारा। तृ० भत्तुणा, भत्तारेण, भत्तारेणं भत्तुहि, भत्तु हिं, भत्तुहिँ, भत्तारेहि,
__भत्तारेहिं भत्तारेहिं । पं० भत्तुणो, भत्तुत्तो, भत्तूओ भत्तुत्तो, भत्तूओ, भत्तूउ, भत्तूहिन्तो
भत्तूउ, भत्तूहिन्तो, भत्तारत्तो, भत्तूसुन्तो भत्ताराओ, भत्ताराउ भत्तारत्तो, भत्ताराओ, भत्ताराउ, .. भत्ताराहि, भत्ताराहिन्तो, भत्ताराहि, भत्तारेहि, भत्ताराहितो, भत्तारा
__ भत्तारेहितो, भत्तारासुन्तो, भत्तारेसुन्तो च०, ष० भत्तुणो, भत्तुस्स, भत्तारस्स भत्तूण, भत्तूणं, भत्ताराण, भत्ताराणं स० भत्तुम्मि, भत्तारम्मि, भत्तारे भतूसु, भत्तूमुं, भत्तारेसु, भत्तारेसुं सं० हे भत्त, हे भत्तारो
हे भत्तू, हे भत्तुणो, हे भत्तउ,
हे भत्तओ, हे भत्तवो, हे भत्तारा उकारान्त भत्तु शब्द के रूप साहु की तरह और अकारान्त भत्तार शब्द के रूप जिण की तरह चलते हैं।
ऐकारान्त सुरेअ (सुरै) शब्द एकवचन
बहुवचन प्र० सुरेअ द्वि० सुरेअं
सुरेआ, सुरेए तृ० सुरेण
सुरेएहि, सुरेएहि, सुरेएहिँ पं० सुरेअत्तो, सुरेआओ सुरेअत्तो, सुरेआओ, सुरेआउ, सुरेआउ, सुरेआहि,
सुरेआहि, सुरेएहि, सुरेआहितो सुरेआहितो, सुरेआ सुरेएहितो, सुरेआसुतो, सुरेएसुतो च०, १० सुरेअस्स, सुरेअंसि, सुरेआण, सुरेआणं, सुरेएसु, सुरेएसुं
सुरेअम्मि __ संस्कृत के ऐकारान्त शब्द प्राकृत में अकारान्त हो जाते हैं। १२ औकारान्त गिलाअ (ग्लौ) शब्द
गिलोअ शब्द के रूप पुंलिंग अकारान्त जिण शब्द की तरह चलते हैं। १३ तवस्सि (तपस्विन्) शब्द
(इसके रूप इकारान्त पुंलिंग मुणि शब्द की तरह चलते हैं। दण्डिन् (दण्डि) करिन् (करि) प्राणिन् (पाणि) आदि इन्नन्त पुंलिंग शब्द तवस्सि की तरह यानि मुणि की तरह चलते हैं)। १४ नकारान्त राय (राजन) शब्द . .. एकवचन
बहुवचन प्र. राया, रायो, रायाणो रायाणो. राइणो, राया. रायाणो...
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