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________________ संबंध शब्द संग्रह (परिवार वर्ग ५) साढू----सालीधवो (सं) बूआ-पिडस्सिआ, पिउच्चा पिउच्छा जमाई-~-जामाया मौसी--माउसिआ, ताउसी, माउलिया (दे०) मौसा · माउसिआपई भौजाई.-भाउजाया, भाउज्जा, भाउज्जाइया पौत्र की पत्नी-नत्तुइणी ननंद-नणंदा पत्नी--पत्ती सिरीमई, घरिणी पुत्रवधू-गोहा, पुत्तबहू, सुण्हा दहेज-अण्णाणं (दे०) समर्पण-समप्पणं नाम-अभिहाणं वार्ता--वत्ता धातु संग्रह सिव्व-सीना याच--मांगना वर --सगाइ करना विवह-विवाह करना चुंब -चुम्बन लेना अल्लव-बोलना अव्यय संग्रह संपइ (सम्प्रति) इसी समय किर, किल (फिल) निश्चय, संशय पइ-~-प्रति, ईसिं (ईषत्) थोड़ा ... अवरि, अरिं, उरि (उपरि) ऊपर एगहा (एकधा) एक प्रकार स्त्रीलिङ्ग इकारान्त मह, ईकारान्त वाणी, उकारान्त घेणु और अकारान्त वधु शब्दों को याद करो। देखो-परिशिष्ट १ संख्या २३,२४,२५,२६ । इनके रूप मशग्द की तरह ही चलते हैं। संबंध सम्बन्ध अनेक प्रकार का होता है-- (क) स्वस्वामि संबंध.---घोड़े का मालिक (ख) जन्यजनक संबंध-त्रिशला का पुत्र (ग) अवयव-अवयवी संबंध-पशु का पैर (घ) आधार-आधेय संबंध-वृक्ष की शाखा (ड) प्रकृतिविकारभाव संबंध-दूध का विकार दही (च) समूहसमूहिभाव संबंध--गायों का समूह (छ) समीपसमीपिभाव संबंध-घडे का स्वामी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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