________________
४४८
प्राकृत वाक्यरचना बोध
हुआ खाता है) । (२) स/सु/लिहमाणु/लिहमाणो/लिहमाण/लिहमाणा भुंजउ (वह लिखता हुआ खाए)। (३) ते लिहन्त/लिहन्ता भुंजेसहिं (वे लिखते हुए खाएंगे) । (४) ते लिहमाण/लिहमाणा उद्विआ (वे लिखते हुए उठे)। (५) सा भुंजन्ता/भुंजन्त पढइ (वह खाती हुई पढती है)। (६) ता भुंजंता/ जंत/ भुंजताउ/भुंतउ/भुंजंताओ/भुजंतओ पढंति । (७) कमलु विअसंतु/विअसंत/ विअसंता/विअसमाणु विअसमाण/विअसमाणा हसइ । (८) कमलइं विअसंत विअसंता/विअसंतई/विअसंताई/विअसमाण/ विअसमाणा/विअसमाणई / विअसमाणाई हसंति (कमल खिलते हुए हंसते हैं)।
बालओ उद्वन्तु पडइ । सो आंखिउ चोरन्तो लुक्कइ। बिन्दू पडमाणा नस्संति । जंतू उस्ससंता मरंति । साहु जेमन्तो भोयण न मग्गइ। तुहं खेलन्तो उवविससि । मेहा सुमरन्ता वड्ढइ । महिलाउ णच्चन्ताउ थक्कंति । सा घुमन्त पडइ। अपनश में अनुवाद करो (शतृ-शान का प्रयोग करो)
तुम वर्णन करते हुए भूल गए। तुम पढते हुए हंसते हो। वे देते हुए मांगने लगे। तुम जीमते हुए उठे । मैं स्मरण करता हुआ भूल गया। मैं हंसता हुआ जीता हूं। पानी फैलता हुआ सूखता है। श्रद्धा बढती हुई शोभती है। महिलाएं हंसती हुई घूमती हैं। पुत्री जागती हुई उठी। वह नाचती हुई गिरी । मेघ गरजते हुए गए। वह हंसता हुआ बोला। माता कथा कहती हुई सोई। पुत्री सेवा करती हुई उठी । बालक दौडता हुआ खाता है। बहिन खेलती हुई रोने लगी। आग जलती हुई नष्ट हो गई। आग जलती हुई फैलने लगी । दादा मकान में गिरता हुआ उठा । पुत्री स्तुति करती हुई निंदा करने लगी। बुढापा बढता हुआ रुक गया।
प्रश्न १. उच्चारण-लाघव किन स्वरों का होता है ? २. अपभ्रंश में दृश् और ग्रह, धातु को क्या आदेश होता है ? ३. अनुगच्छति, तिष्ठति, आक्रम्यते, दहइ-इन रूपों का अपभ्रंश में क्या
क्या रूप बनता है ? ४. क्त्वा और तुम् प्रत्यय को कौन-कौन से प्रत्यय आदेश होते हैं ? प्रत्येक
के एक-एक उदाहरण दो। ५. अणअ आदेश किस प्रत्यय को होता है ? ६. तव्य प्रत्यय को कितने आदेश होते हैं। प्रत्येक के एक-एक उदाहरण
दो। ७. इस पाठ में आई हुई किन्हीं सात धातुओं और सात शब्दों का अपने
वाक्य में प्रयोग करो।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org