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________________ ११५ अपभश (३) शब्द संग्रह (नपुंसकलिंग) भायण-वर्तन वत्थ-वस्त्र जोव्वण-यौवन मण-मन पत्त-कागज घय-घी भोयण-भोजन . णायर–नागरिक जीवण-जीवन रज्ज-राज्य खीर-दूध कट्ठ-काठ सुह-सुख लक्कुड-लकडी णाण-ज्ञान वेरग्ग-वैराग्य सच्च-सत्य . धण्ण-धान मरण-मरण - धातु संग्रह फुल्ल-कूदना - पीस-पीसना उग्घाड-उघाडना, खोलना थक्क- थकना लिह-लिखना णिज्झर-झरना कट्ट-काटना लुढ--लुढकना वखाण-व्याख्यान करना पिव--पीना सुक्क--सूखना अव्यय अज्जु-आज म-मत जेत्थु-जहां केत्थु-कहां ण-नहीं तेत्थु-वहां ० नपुंसकलिंग में कमल, वारि, महु शब्द को याद करो। देखो परिशिष्ट ३ संख्या ११,१२,१३ । • हस और हो धातु के भविष्यकाल के रूप याद करो। देखो परिशिष्ट ४ । नियम १०३७ (अदस ओइ ४१३६४) अपभ्रंश में अदस् के स्थान पर ओइ आदेश होता है, जस् और शस् परे हो तो । अमी, अमून् (ओइ)। नियम १०३८ (इदम आयः ४१३६५) अपभ्रंश में इदं शब्द को आय आदेश होता है, स्यादि विभक्ति परे हो तो। अयं (आयउ)। नियम १०३६ (एतदः स्त्री-पंक्लीबे एह-एहो-एह ४।३६२) अपभ्रंश में एतत् शब्द को स्त्रीलिंग में एह, पुलिंग में एहो और नपुंसकलिंग में एहु आदेश होता है, सि और अम् परे हो तो। एह कुमारी। एहो नरु। एहु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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