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अपभश (३)
शब्द संग्रह (नपुंसकलिंग) भायण-वर्तन वत्थ-वस्त्र
जोव्वण-यौवन मण-मन पत्त-कागज
घय-घी भोयण-भोजन . णायर–नागरिक जीवण-जीवन रज्ज-राज्य खीर-दूध
कट्ठ-काठ सुह-सुख
लक्कुड-लकडी णाण-ज्ञान वेरग्ग-वैराग्य सच्च-सत्य . धण्ण-धान मरण-मरण
- धातु संग्रह फुल्ल-कूदना
- पीस-पीसना उग्घाड-उघाडना, खोलना थक्क- थकना लिह-लिखना
णिज्झर-झरना कट्ट-काटना
लुढ--लुढकना वखाण-व्याख्यान करना
पिव--पीना सुक्क--सूखना अव्यय अज्जु-आज
म-मत
जेत्थु-जहां केत्थु-कहां
ण-नहीं तेत्थु-वहां ० नपुंसकलिंग में कमल, वारि, महु शब्द को याद करो। देखो
परिशिष्ट ३ संख्या ११,१२,१३ । • हस और हो धातु के भविष्यकाल के रूप याद करो। देखो
परिशिष्ट ४ ।
नियम १०३७ (अदस ओइ ४१३६४) अपभ्रंश में अदस् के स्थान पर ओइ आदेश होता है, जस् और शस् परे हो तो । अमी, अमून् (ओइ)।
नियम १०३८ (इदम आयः ४१३६५) अपभ्रंश में इदं शब्द को आय आदेश होता है, स्यादि विभक्ति परे हो तो। अयं (आयउ)।
नियम १०३६ (एतदः स्त्री-पंक्लीबे एह-एहो-एह ४।३६२) अपभ्रंश में एतत् शब्द को स्त्रीलिंग में एह, पुलिंग में एहो और नपुंसकलिंग में एहु आदेश होता है, सि और अम् परे हो तो। एह कुमारी। एहो नरु। एहु
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