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________________ ११४ अप अपभ्रंश (२) शब्द संग्रह (पुंलिंग) गंथ--पुस्तक रयण-रत्न जणेर--बाप बालअ-बालक कियंत-मृत्यु गाम-गांव करह-ऊंट मित्त-मित्र नरिंद-राजा सलिल-पानी पड-वस्त्र मेह-मेघ सप्प-सांप घर-मकान गव्व-गर्व दुक्ख-दुःख सायर-समुद्र धातु संग्रह गल-गलना कोक-बुलाना गज्ज-गर्जना कुट्ट-कूटना घाल-डालना छोल्ल-छीलना चोप्पड-स्निग्ध करना, चोपडना छोड-छोडना धो-धोना उपकर-उपकार करना फाड-फाडना रोक्क-रोकना लज्ज-शरमाना उच्छल-उछलना डर-डरना घूम-घूमना अव्यय आम-जब तक ... ताम-तब तक जेम-जिस प्रकार तेम-उस प्रकार जहा—जिस प्रकार तहा- उस प्रकार • माला शब्द याद करो। देखो परिशिष्ट ३ संख्या ६ । मइ, वाणी, घेणु और वहू शब्द के रूप माला की तरह चलते हैं । देखो-परिशिष्ट ३, संख्या ७,८,९,१०)। • हस और हो धातु के विधि एवं आज्ञा के रूप याद करो। देखो परिशिष्ट ४, संख्या १,२ । नियम १०१७ (सौ पुंस्योद् वा ४।३३२) अपभ्रंश में पुंलिंग में अकारान्त नाम परे सि हो तो अकार को ओकार विकल्प से होता है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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