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अप अपभ्रंश (२)
शब्द संग्रह (पुंलिंग) गंथ--पुस्तक
रयण-रत्न जणेर--बाप
बालअ-बालक कियंत-मृत्यु
गाम-गांव करह-ऊंट
मित्त-मित्र नरिंद-राजा
सलिल-पानी पड-वस्त्र
मेह-मेघ सप्प-सांप
घर-मकान गव्व-गर्व
दुक्ख-दुःख सायर-समुद्र
धातु संग्रह गल-गलना
कोक-बुलाना गज्ज-गर्जना
कुट्ट-कूटना घाल-डालना
छोल्ल-छीलना चोप्पड-स्निग्ध करना, चोपडना छोड-छोडना धो-धोना
उपकर-उपकार करना फाड-फाडना
रोक्क-रोकना लज्ज-शरमाना
उच्छल-उछलना डर-डरना
घूम-घूमना अव्यय आम-जब तक ... ताम-तब तक जेम-जिस प्रकार तेम-उस प्रकार जहा—जिस प्रकार तहा- उस प्रकार • माला शब्द याद करो। देखो परिशिष्ट ३ संख्या ६ । मइ, वाणी,
घेणु और वहू शब्द के रूप माला की तरह चलते हैं । देखो-परिशिष्ट
३, संख्या ७,८,९,१०)। • हस और हो धातु के विधि एवं आज्ञा के रूप याद करो। देखो
परिशिष्ट ४, संख्या १,२ ।
नियम १०१७ (सौ पुंस्योद् वा ४।३३२) अपभ्रंश में पुंलिंग में अकारान्त नाम परे सि हो तो अकार को ओकार विकल्प से होता है ।
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