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अपभ्रंश (१)
शब्द संग्रह
अम्हे, अम्हइं-- हम दोनों/हम सब तुहुं-तू, तुम
तुम्हे, तुम्हई-तुम दोनों/तुम सब सो-वह
ते-वे दोनों/वे सब सा-वह (स्त्री)
ता-वे दोनों/वे सब (स्त्री) ज-जो (पुं)
क(पुं, नपुं)-कोन जा-जो (स्त्री)
का (स्त्री)-कौन कवणा (स्त्री)-कौन . कवण (पुं, नं) कौन
धातु संग्रह वइट्ट-बैठना
रूस-रूसना सय-सोना
णच्च-नाचना जग्ग-जागना
पहा.--स्नान करना लुक्क-छिपना
हरिस-प्रसन्न होना जीव-जीना
हस---हसना • जिण और मुणि शब्द याद करो। वेखो-परिशिष्ट ३ संख्या १,२ गामणी, साहु और सयंभू शब्द के रूप मुणि शब्द की तरह चलते हैं ।
देखो-परिशिष्ट ३ संख्या ३,४,५।। ० हस पातु और हो धातु के वर्तमान काल के रूप याद करो। देखो
परिशिष्ट ४ संख्या १,२। अपभ्रंश - १. अपभ्रंश में चार प्रकार के ही शब्द मिलते हैं--(१) अकारान्त (२)
आकारान्त (३) इकारान्त (४) उकारान्त । २. अपभ्रंश में चार प्रकार के कालवर्णित हैं- (१) वर्तमानकाल (२)
विधि एवं आज्ञा (३) भूतकाल (४) भविष्यकाल । सरल व्यंजन परिवर्तन
नियम ६६५ (अनादौ स्वरावसंयुक्तानां क-ख-त-य-प-फां ग-ध-द-धब-मा: ४।३६६) अपभ्रंश में पद की अनादि में क, ख, त, थ, प, फ हों तो उनको क्रमशः म, घ, द, ध, ब और भ आदेश होते हैं। क को ग-करं
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