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________________ १०७ दीक्षित - पव्वइयो विश्राम -- विस्सामं धात्वादेश ( ८ ) प्रद्वेष-पओसो हांकना - खेड (धातु) गवाले की लडकी ——गोवदारया देखता हुआ - पलोइंतो उत्पथ - उप्पहो शब्द संग्रह बहुश्रुत, शास्त्रज्ञ - बहुस्सुओ पास जाता हुआ — उवसप्पंत अणालोइय - प्रायश्चित्त के लिए अपने दोष को गुरु को न बताना व्याकुल - अक्खित्त (वि) पास - अब्भास (वि) नियम ८७२ ( स्पृश: फास - फंस-फरिस छिव - छिहालुङ खालिहाः ४११८२) स्पृशति को फास, फंस, फरिस, छिव, छिह, आलुङ्ख और आलिह - ये सात आदेश होते हैं । स्पृशति ( फासइ, फंसइ, फरिसइ, छिवइ, छिहइ, आलुङ्ङ्खइ, आलिहइ) छूता है । नियम ८७३ ( प्रविशेरिअ: ४।१८३ ) प्रविशति को रिअ आदेश विकल्प से होता है । प्रविशति (रिअइ, पविसइ) प्रवेश करता है । नियम ८७४ ( प्रान्मुश- मुषोम्सः ४।१८४) प्र पूर्वक मृशति और मुष्णाति को म्हुस आदेश होता है । प्रमृशति (पम्हुसइ) स्पर्श करता है । प्रमुष्णाति ( पम्हुसइ) चोरी करता है । नियम ८७५ (पिषे निवह- णिरिणास- णिरिणज्ज-रोञ्च चड्डाः ४१८५) पिष् धातु को णिवह, णिरिणास, णिरिणज्ज, रोञ्च, चडु-ये पांच आदेश विकल्प से होते हैं । पिनष्टि ( णिवहइ, णिरिणासइ, णिरिणज्जइ, रोञ्चइ, चहुइ, पीसइ) पीसता है । नियम ८७६ ( भषेर्भुक्कः ४११८६ ) भष् धातु को भुक्क आदेश विकल्प होता है | भषति (भुक्कइ, भसइ) भौंकता है । Jain Education International नियम ८७७ ( कृषेः कड्ढ -साअड्ढाञ्चाणच्छाय ञ्छाइञ्छा: ४।१८७ ) कृष् धातु को कड्ढ, साअड्ढ, अञ्च, अणच्छ, अयञ्छ, आइञ्छ -- ये छ आदेश विकल्प से होते हैं । कर्षति (कड्ढइ, साअड्ढई, अञ्चइ, अणच्छइ, अयञ्छ, आइञ्छइ, करिसइ) खींचता है | नियम ८७८ ( असायक्लोड: ४११८८) असि विषय में कृष् धातु को अक्खोड आदेश होता है । असि कोशात् कर्ष ति ( अक्खोडइ) । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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