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दीक्षित - पव्वइयो विश्राम -- विस्सामं
धात्वादेश ( ८ )
प्रद्वेष-पओसो
हांकना - खेड (धातु) गवाले की लडकी ——गोवदारया देखता हुआ - पलोइंतो उत्पथ - उप्पहो
शब्द संग्रह
बहुश्रुत, शास्त्रज्ञ - बहुस्सुओ पास जाता हुआ — उवसप्पंत अणालोइय - प्रायश्चित्त के लिए अपने दोष को गुरु को न बताना
व्याकुल - अक्खित्त (वि) पास - अब्भास (वि)
नियम ८७२ ( स्पृश: फास - फंस-फरिस छिव - छिहालुङ खालिहाः ४११८२) स्पृशति को फास, फंस, फरिस, छिव, छिह, आलुङ्ख और आलिह - ये सात आदेश होते हैं । स्पृशति ( फासइ, फंसइ, फरिसइ, छिवइ, छिहइ, आलुङ्ङ्खइ, आलिहइ) छूता है ।
नियम ८७३ ( प्रविशेरिअ: ४।१८३ ) प्रविशति को रिअ आदेश विकल्प से होता है । प्रविशति (रिअइ, पविसइ) प्रवेश करता है ।
नियम ८७४ ( प्रान्मुश- मुषोम्सः ४।१८४) प्र पूर्वक मृशति और मुष्णाति को म्हुस आदेश होता है । प्रमृशति (पम्हुसइ) स्पर्श करता है । प्रमुष्णाति ( पम्हुसइ) चोरी करता है ।
नियम ८७५ (पिषे निवह- णिरिणास- णिरिणज्ज-रोञ्च चड्डाः ४१८५) पिष् धातु को णिवह, णिरिणास, णिरिणज्ज, रोञ्च, चडु-ये पांच आदेश विकल्प से होते हैं । पिनष्टि ( णिवहइ, णिरिणासइ, णिरिणज्जइ, रोञ्चइ, चहुइ, पीसइ) पीसता है ।
नियम ८७६ ( भषेर्भुक्कः ४११८६ ) भष् धातु को भुक्क आदेश विकल्प होता है | भषति (भुक्कइ, भसइ) भौंकता है ।
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नियम ८७७ ( कृषेः कड्ढ -साअड्ढाञ्चाणच्छाय ञ्छाइञ्छा: ४।१८७ ) कृष् धातु को कड्ढ, साअड्ढ, अञ्च, अणच्छ, अयञ्छ, आइञ्छ -- ये छ आदेश विकल्प से होते हैं । कर्षति (कड्ढइ, साअड्ढई, अञ्चइ, अणच्छइ, अयञ्छ, आइञ्छइ, करिसइ) खींचता है |
नियम ८७८ ( असायक्लोड: ४११८८) असि विषय में कृष् धातु को अक्खोड आदेश होता है । असि कोशात् कर्ष ति ( अक्खोडइ) ।
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