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धात्वादेश ( ५ )
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दुक्करकओ ? भयवया भणिअं - जहा ढंढणअणगारो । सो कहि ? सामी भणइ, नयर पविसंत पेच्छिहिसि । दिट्ठो य सुक्को निम्मंससरीरो पसंतप्पा ढंढणो अणगारी णयरिं पविसंतेणं । तओ भत्तिनिन्भरमणेण ओयरिऊण करिवराओ, वंदिओ सविणयं, पमज्जिया सहत्थेण चलणा, पुच्छिओ य पंजलिउडेण सुहविहारं । एक्केण इन्भसेट्टिणा दिट्ठो चितियं च- -जहा महप्पा एस कोइ तवस, जो वासुदेवेण वि एवं सम्माणिज्जइ । सो ( ढंढणो ) य भवियव्वयावसेण तस्सेव घरं पविट्टो । तेण परमाए सद्धाए मोयगेहि पडिलाभिओ । आगओ सामिस्स दाइ, पुच्छइ य - जहा मम लाभंतराइयं खीणं ? सामिणा भण्णइ न खीणं, एस वासुदेवस्स लाभो ति । कहिओ सेट्टिभत्तिकरणवइयरो तओ "न परलाभं उवजीवामि न वा अन्नस्स देमि' त्ति अमुच्छियस्स परिट्ठवंतस्स अस्खलित परिणामस्स तस्स केवलनाणं समुत्पन्नं ।
प्राकृत में धातु प्रयोग करो
वह अपने शरीर को विभूषित करता है । तुम दीवार को क्यों तोडते हो ? स्तूप के ऊपर चक्र घूमता है पोली जमीन जल्दी धंसती है । तुम किन औषधियों का क्वाथ करते हो ? देवताओं और असुरों ने समुद्र का मंथन किया था । गणधरों ने भगवान् महावीर की वाणी को गूंथा जो आगम
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खिलाकर उन्हें खुश करता है । क्या वह जमीन कारण से तुम मकान को खंडित करते हो ? ली । वह प्रतिदिन मर्दन क्यों करता है ? स्थान फडकता है । गुरु के आशीर्वाद से कार्य कौन चिल्लाता है ? भोजन में तुम्हारे न आने से मार्ग को कौन रोकता है ? तुमको वहां जाने से क्रोध करता है, उसका शरीर पतला हो जाता है एक दिन मरेगा ।
कहलाए | आपके आगमन से मैं बहुत खुश हूं । धर्मेश भूखों को भोजन पर नहीं बैठता है ? किस उसने मेरे हाथ से पुस्तक छीन दर्शन केन्द्र पर ध्यान करने से वह निष्पन्न होता है । जंगल में वह खेद करता है । तुम्हारे कौन निषेध करता है ? जो । जो उत्पन्न होता है वह
धातु का प्रयोग करो
एक परिवार में तीन भाई थे। तीनों ही विवाहित थे। सबसे छोटा भाई अधिक बुद्धिमान था । उसकी पत्नी तीनों में सबसे छोटी थी । इसलिए उसे काम भी अधिक करना पडता था । जिस दिन बडी बहू के खाना बनाने का क्रम आता उस दिन भी वह सहयोग करती । और जिस दिन दूसरे नम्बर की बहू का क्रम आता उस दिन भी वह सहयोग करती । यह नई बहू थी फिर भी दोनों बडी बहुओं से अधिक काम करती । काम करना उसके लिए भारी नहीं था । दुःख तो इस बात का था कि काम करने पर भी वह सासू की कृपापात्र नहीं थी । खाने को शेष रहा हुआ मिलता था । पति भी
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