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________________ १०० धात्वादेश (१) गुहा--गुफा गहिरो-गहरा उइअ (वि)---उदित दोहि (वि)-द्रोही थोओ -थोडा कज्जालाव-(कार्यालाप) कार्यों अमुणिअ-अज्ञात दुमो-वृक्ष खयाणलो-दावानल पवओ---- बंदर उअहि (पुं)उदधि नियम ७२२ (इदितो वा ४११) सूत्र में 'इ' इत जाने वाली धातुओं के आदेश विकल्प से होते हैं । नियम ७२३ (कथे वंज्जर-पज्जरोप्पाल-पिसुण-संघ-बोल्ल-चव-जम्पसीस-साहाः ४।२) कथि धातु को वज्जर, पज्जर, उप्पाल, पिसुण, संघ, बोल्ल चव, जम्प, सीस और साह—ये आदेश होते हैं । कथयति (वज्जरइ, पज्जरइ, उप्पालइ, पिसुणइ, संघइ, बोल्लइ, चवइ, जम्पइ, सीसइ, साहाइ, कहइ) कहता है। कथितः (वज्जरिओ) कथनम् (वज्जरणं) कथयित्वा (वज्जरिऊण) कथयन् (वज्जरन्तो) कथयितव्यं (वज्जरिअव्वं) । इसी प्रकार अन्य धातुओं आदेश के रूप बना सकते हैं। नियम ७२४ (दु:खे णिव्वरः ४१३) दुःख विषययुक्त कथ् धातु को णिव्वर आदेश विकल्प से होता है। दुःखं कथयति (णिव्वरइ) दु:ख कहता है। नियम ७२५ (जुगुप्ते झुण-दुगुच्छ-दुगुञ्छाः ४१४) जुगुप्सि धातु को झुण, दुगुच्छ और दुगुञ्छ-ये तीन आदेश विकल्प से होते हैं। जुगुप्सति (झुणइ, दुगुच्छइ, दुगुञ्छइ जुगुच्छइ) घृणा करता है। नियम ७२६ (ब्रुभुक्षि वीज्योीरव-वोज्जी ४॥५) बुभुक्षि धातु को णीरव और वीजि धातु को वोज्ज आदेश विकल्प से होता है। बुभुक्षति (णीरवइ) खाना चाहता है । वीजयति (वोज्जड) हवा करता है। नियम ७२७ (घ्या-गोर्भा-गो ४६) ध्या धातु को भा और गा धातु को गा आदेश विकल्प से होता है। ध्यायति (झाइ, झाअइ) । णिज्झाइ, णिज्झाभइ (निध्यायति) देखता है । गाइ, गाअइ (गाति) गाता है। नियम ४२८ (जो जाण-मुणौ ४।७) जानाति को जाण और मुण आदेश होता है । जानाति (जाणइ, मुणइ) जानता है। बहुलाधिकारात् कहीं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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