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भावकर्म (२)
३५१ संजोअइ । सुहमुणी अहियसमयं संझाअइ । खत्तियो जुज्झे संणज्झइ। गंगानई को संतरिस्सइ ? सेट्ठी भिक्खारिं कहं संतावइ ? राओ पढमपहरस्स पच्छा अहं संथरामि । प्रत्यय प्रयोग
अट्ठदससु पावसु कम्मेहिं बज्झइ, बन्धिज्जइ वा। तुमए कत्थ गम्मइ, गम्मिज्जइ वा ? तुम्हेहि किं भण्णइ, भणिज्जइ वा ? तस्स माआइ को रुव्वइ, रुविज्जइ वा ? सुमणाइ सच्चं कत्थइ, कहिज्जइ वा। सुवण्णवावारे तेण कि लब्भइ, लहिज्जइ वा ? आवणे तुमए किं भुज्जइ, भुज्जिज्जइ वा ? तुज्झ सरीरं तिणा कहं छुप्पइ, छुविज्जइ वा ? तेणं सिसुहत्थाओ पत्थरं हीरइ, हरिज्जइ वा । सुरेसेण नई तीरइ, तरिज्जइ वा । सव्वेहि वत्थूहिं जीरइ, जरिज्जइ वा । मए किमवि न कीरइ, करिज्जइ वा । तेणं दिवहे किं विढविज्जइ अज्जिज्जइ, वा ? तुमए अहं णव्वामि, गज्जामि, जाणिज्जामि, मुणिज्जामि वा । रमेसेण गारुडो वाहिप्पड़, वाहरिज्जइ वा । अज्ज तुमए कि कज्ज आढप्पइ, आढवीअइ वा ? तेण तुमं सिप्पइ । गिहसामिणा णिय उज्जाणं सिप्पइ । तस्स गिहाओ तुमए कि घेप्पइ, गिण्हिज्जइ वा ? तेण तुज्य सरीरं किमटुंछिप्पइ, छिविज्जइ वा ? प्राकृत में अनुवाद करो
सूर्य ग्रह का दोष मिटाने के लिए मंत्र का जाप करो। चांदी की अंगूठी पहनने से चंद्रग्रह का दोष कम होता है। चन्द्रमा का संबंध मन से है। मंगल का संबन्ध शरीर के रक्त से है। बुध ग्रह के कारण मनुष्य ज्योतिष सीखता है। बृहस्पति ग्रह अध्यात्म की ओर प्रवृत्त करता है । गोचर (गोअर) ग्रहों में शुक्र अस्त हो तब दीक्षा देनी चाहिए । शनि मनुष्य को घर से सडक पर खडा कर देता है। राहु की गति धीमी होती है। बारहवें घर में बैठा केतु अच्छा फल देता है। वह स्वातिनक्षत्र में गांव में प्रवेश करता हैं। दिन में तारा कोन दिखाता है ? चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र में ८४ ग्रहों के नाम हैं। धातु का प्रयोग करो
वह किसके अवगुणों को संग्रह करता है ? महेश ने घडे के टुकडेटुकड़े कर दिए। क्या तुम भोजन से निवृत्त होते हो ? वह ईर्यासमिति (इरियासमिइ) में सम्यक् प्रयत्न करता है। तुम अपने विवाद में मुझे क्यों संबद्ध करते हो ? वह ध्यान क्यों नहीं करता है ? आज तुम कवच धारण क्यों करते हो ? यमुना नदी को वह भुजाओं से तैरेगा। पढ़ाने के लिए तुम विद्यार्थियों को क्यों हैरान करते हो ? वह किसके लिए दिन में बिछौना करता
प्रत्यय प्रयोग करो
वह तुमको प्रेम की रज्जु से बांधता है। क्या तुम आज अपने देश को
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