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________________ ३४८ प्राकृत वाक्यरचना बोध मौन में संकेत करता है। मुनि अपनी इंद्रियों को संकुचित करता है । वह पुत्री के विवाह के लिए धन को जोडता है । सीमा अपने पति की बात को स्वीकार नहीं करती है । साधु सचित्त का स्पर्श नहीं करते हैं। शांति चाहने वालों को किसी से संघर्ष नहीं करना चाहिए। क्या तुम इस कार्य को करने के लिए समर्थ हो ? प्रत्यय का प्रयोग करो सरोज सबकी बात आजकल धन की वह क्यों हंसता है ? तुम कौन-सी पुस्तक पढते हो ? वह विद्वान् बनेगा । वह पांच मिनट तक आकाश को देखता है । तुम किसको कहते हो ? वह अवगुणों को चुनता है । विमला मन को जीतती है । सुनती है। तुम किस तीर्थंकर की स्तुति करते हो ? पूजा होती है । क्या भगवान का साक्षात्कार होता है ? वह वृक्ष को क्यों काटता है ? वह सांप को मारता है । वे दस दिनों से खान को खोदते हैं । मेरी बहन भैंस को दुहती है । तुम किसका भार उठाते हो ? हमारी प्रगति को कौन रोकता है ? प्रश्न १. भाव कर्म एक है या दो ? विस्तार से समझाओ ? २. भाव कर्म के रूप बनाने के लिए किन प्रत्ययों का प्रयोग करना होता है ? ३. नीचे लिखे रूप किन - किन धातुओं के हैं—दीसइ, वुच्चइ, चिम्मद, जिव्वइ, लुव्वइ, वुब्भइ, दुब्भइ, पुव्वइ, थुब्वइ । ४. श्रावण, भाद्रव, आसोज, कार्तिक, मृगसर, पोष, माघ, फाल्गुन, चैत्र, वैशाख, जेठ और आषाढ-- - इन मासों के लिए प्राकृत के शब्द बताओ ? ५. संक, संकम, संकल, संकेअ, संकोअ, संखा, संगच्छ, संघट्ट, संघस और संचाय धातुओं के अर्थ बताओ और वाक्य में प्रयोग करो । ६. के अगो, पाडली, मालई, टगरो, लट्ठमहु, कप्पूरो, उवणयरं, कुडुल्ली, कफाडो - इन शब्दों को वाक्य में प्रयोग करो तथा हिन्दी में वाक्य बनाओ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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