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________________ ३४६ प्राकृत वाक्यरचना बोध हैं । हस् + अ = हसीअइ । हस | इज्ज - हसिज्जइ । हो + ईअ होईअइ । हो + इज्ज होइज्जइ । पढ + ईअपढीअइ । पढ + इज्ज पढिज्जइ । नियम ६६६ (वृशि-वचे डस- च्वं ३.१६१) दृश् और वच् धातु से क्य प्रत्यय को क्रमश: डीस और डुच्च प्रत्यय होते हैं । दृश् + डीस दीसइ ( दृश्यते), वच् + डुच्च बुच्चइ (उच्यते ) । नियम ७०० (म्मश्चे: ४।२४३ ) भाव कर्म में चि धातु के अन्त में म्म विकल्प से होता है, उसके योग में क्य का लुक् हो जाता है । चिम्मइ (चीयते) पक्ष में । नियम ७०१ ( न वा कर्मभावे ब्वः क्यस्य च लुक् ४।२४२) चि, जि, श्रु, हु, स्तु, लू, पू और धून् - इन आठ धातुओं के अंत में भाव कर्म में व्य का आगम विकल्प से होता है । उसके योग में क्य का लुक् हो जाता है । चीयते ( चिव्वइ, चिणिज्जइ ) । जीयते ( जिव्वइ, जिणिज्जइ ) । श्रूयते ( सुव्वाइ, सुणिज्जइ ) । भूयते (हुव्व इ, हुणिज्नइ ) । स्तूयते ( धुव्वाइ, थुणिज्जइ ) लूयते ( लुव्वइ, लुमिज्जइ ) । पूयते ( पुव्वइ, पुणिज्जइ) । धूयते ( धुव्वाइ, धुणिज्जइ ) । नियम ७०२ ( हन्खनन्त्यस्य ४० २४४ ) हन् और खन् धातु के अंत को भाव कर्म में म्म प्रत्यय विकल्प से होता है । उसके योग में क्य प्रत्यय का लुक् होता है । हन्यते (हम्मइ, हणिज्जइ ) । खन्यते ( खम्मइ, खणिज्जइ ) । नियम ७०३ ( भो दुह-लिह-वह-रुधामुच्चातः ४/२४५) दुह, लिह,, वह और रु धातु को 'भ' प्रत्यय विकल्प से होता है और क्या प्रत्यय का लुक् होता है । दूह्यते ( दुब्भइ, दुहिज्जइ) । लिह्यते (लिब्भइ, लिहिज्जइ ) । (वुब्भ, बहिज्जइ ) । रुध्यते ( रुब्भह, रुन्धिनइ ) । उ नियम ७०४ ( समनूपादुषः ४ । २४८ ) सं, अनु, उप उपसर्ग पूर्वक रुध् धातु को भाव कर्म में ज्झ विकल्प से होता है और क्य प्रत्यय का लुक् होता है । संरुध्यते ( संरुज्झाइ, संरुन्धिज्जइ ) । अनुरुध्यते (अगुरुज्झइ, अणुरुन्धिज्जइ ) । उपरुध्यते ( उवरुज्झइ, उवरुन्धिज्जइ ) । नियम ७०५ (दहो ज्झः ४१२४६ ) दह धातु को भाव कर्म में ज्झ प्रत्यय विकल्प से होता है । उसके योग में क्य प्रत्यय का लुक होता है । दह यले (डज्झइ, डहिज्जइ) 1 नियम ७०६ ( लुगावी क्त भावकर्मसु ३११५२) भावकर्मविहित क्त प्रत्यय परे हो तो णि ( त्रिन्नन्त) के स्थान पर लुक और आवि ये दो आदेश होते हैं । कारिअं कराविअं । हासिअं हसाविअं । प्रयोग वाक्य जइणधमाणुसारेण पुच्वं वरिसस्स आरंभी साबण सुक्का पडिवय़ाए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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