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________________ प्रेरणार्थक प्रत्यय (३) वसइ ? णयरवासिणो गामम्मि वसिउं न इच्छंति । रायहाणीए लोआ पइवरिसं वड्दति । भारहे केत्तिलाई महाणयराइं संति ? चोरपल्लीइ चोरा चेअ वसंति । वरिसाए साहुणो झुपडाइ ठाअंति । किं तुज्झभवणं रायमग्गे अत्थि ? वीहीए सूअरा भमंति । गोमदाए केत्तिला जणा निवसंति ? रायहाणीए महरोलीए उवणयरे मज्झ भाआ वसइ । कुडुल्लीए साहू अत्थि न वा । अहं पट्टणे गमिउ इच्छामि । एगो साहू गुहाए झाणं झाएइ । पासायम्मि राया कहं नत्थि ? अजत्ता रायिंदो णियणव्वम्मि हम्मिम्मि वसइ । धातु प्रयोग तुम रत्तिदिवहं कहं सोअसि ? तुज्झ मित्तं तुं कि सेहइ ? तुम किम अज्ज सोअसि ? परिवारेण सह चंदो राईए सोहइ । तुज्झ लेहं पसंतो सोहइ । गगणे राओ चंदो सोहइ । साहू वत्थूइं न साइज्जइ । सो असुद्धं सिलोगं सारइ । रमेसो सारइ जं तुमए तं कज्ज कयं न वा ? खत्तियो सरणागयं सारक्खइ। प्रत्यय प्रयोग आयरिअतुलसीए तेरापंथधम्मसंघे नारीजाई उत्थंधीअ, उल्लालीअ, गुलुमुछीअ, उप्पेलीअ वा । पिमा णियपुत्तं रायहाणि पट्टवइ, पट्टावइ, पेण्डक्इ वा । गुरु सीसा धम्मं वोक्कई, अवुक्कइ, विण्णवइ वा । सो जीवणं धम्मपयारटुं अल्लिवइ, चुच्चुप्पइ, पणामई, ओप्पेइ बा । सो धम्म अंतरेण केवलं जीवणं जावेइ, जवेइ वा । तुमं रत्तीइ लवंगा कहं ओम्वालइ, पव्वालइ, पावेइ वा ? ठाणं लभिऊणं सो आसणाई पक्खोडइ, विकोसइ वा । पसुणो सइ (एकबार) भोयणं संमिहंति राओय ओग्गालइ, वग्गोलइ, रोमन्थइ वा । आयरिअतुलसी जेणधम्म णुब्वइ, पयासेइ वा । अहिणिवेसिणो सासगस्स भयं जणा विच्छोलइ, कम्पेइ वा । भिच्चो भारं पव्वयम्मि वलइ, आरोवेइ, आरोहेइ वा । पई पत्तिं आभूसणं दाऊण रावेइ, रजेइ वा। विरत्तो न णिहुक्ई कामेइ वा । सीला दोलाए रङ खोलइ, दोलई वा। प्राकृत में अनुवाद करो __आजकल शहरों में समस्याएं बहुत हैं। गांव में सडक क्यों नहीं है ? चोरपल्ली में कोई जाना नहीं चाहता। गर्मी में झोंपडी ठंडी रहती है । राजधानी में कई देशों के दूतावास होते हैं। उसका घर गली में ही है । सडक पर चलने का सबको अधिकार है। बड़े शहरों में शुद्ध वायु कम मिलती है। इस मार्ग से दूसरा मार्ग भी निकलता है। राजा का महल गांव में सबसे ऊचा है । सेठ की हवेली में कौन रहता है ? धातु का प्रयोग करो बच्चा सुख से सोता है । उसे व्यावहारिक ज्ञान सिखाना चाहिए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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