________________
प्रेरणार्थक प्रत्यय (१)
३३५
कमवि न सिणिज्जइ । तुम के सिलाहसि ? रामो लहुभारं सिलेसइ । सरोया वत्थाई सिव्वइ । तुज्झ पसंसं सुणिऊण सो कहं तुमं सिणिज्झइ ? अहं कव्वं सिरामि । प्रेरणार्थक प्रत्यय प्रयोग
असोगो तुं कहं हसावेइ ? सो तुम कज्जं कराइ। माआ बालं अंबं चूसावेइ । कम्माइं णरं संसारे भमाति । गिहसामी भिच्चेण सयणं ओम्बालइ। सो रुक्खत्तो फलाई णिहाडेइ । साहू जणाणं दुक्खं णिहोडइ । तस्स हिययं को दूमेइ ? रमेसो भी इं दुमेइ। प्राकृत में अनुवाद करो
नेहरुजी गुलाब का फूल अपने पास रखते थे। इस गांव में भी कमल पैदा होता है । हमारे बाग में चमेली के फूल बहुत हैं। क्या इस उद्यान में जूही नहीं है ? चंपा का वृक्ष १२ मास हरा रहता है। कदंब कफकारक और वायुजनक होता है। मौलसिरी कुष्ठ के रोग को दूर करता है। कूजा की लता बहुत फैलती है। वेला के पुष्प मेरे भाई को बहुत प्रिय है। केवडा दो प्रकार का होता है । तिलक दांत संबंधी रोगों को दूर करनेवाला है। जवाकुसुम (अडहुल) का तेल महंगा मिलता है । सिन्दुरिया के फूल प्रसिद्ध हैं। अगस्तिया प्रतिश्याय, ज्वर और कास में लाभकारी है। लोग तुलसी को पवित्र मानते हैं । दौना बालकों के उदर संबंधी बीमारी में बहुत उपयोगी है। मरुआ की सुगंध मीठी होती है । गेंदा के फूलों का रस रक्त बवासीर में लाभप्रद है। धातु का प्रयोग करो
तपस्वी साधु-साध्वियों ने अपनी तपस्या से संघ को सींचा है। अस्फुट आवाज करनेवाला शिशु इस घर में कोई नहीं है । मैं प्रकृति के प्रत्येक पदार्थ से सीखता हूं। खीचडी अभी सीझी नहीं है। तुम स्नान क्यों करते हो ? उसने तुमसे स्नेह कब किया ? मनुष्य का निर्माण कौन करेगा? वे सब विमल की प्रशंसा करते हैं । पिता ने पुत्री का आलिंगन किया। टूटे दिल को सीने का प्रयास करो। जिन्नन्त धातु का प्रयोग करो
• तुम उसको क्यों हंसाते हो? वह तुमसे अप्रामाणिक कार्य क्यों करवाता है ? पिता पुत्र को क्यों चूमता है ? मंत्री राजा को राज्य में घुमाता है । वह तुम्हारी प्रतिष्ठा को क्यों गिराता है ? वैद्य से वह रोग का निवारण करवाता है।
प्रश्न
१.णि के स्थान पर क्या आदेश होते हैं ? २. अवि प्रत्यय विकल्प से कहां होता है और किस नियम से ?
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org