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________________ ८७ इव, कृत्वस् प्रत्यय शब्द संग्रह (वाद्य वर्ग) झालर-झल्लरी तूर्य---तुरिअं वीणा-तंती घंटा-घंटो ताल-तालो मृदंग-मुइंगो शंख-संखो डुगडुगी-डिडिम छोटी घंटी-घंटिया नगारा, ढोल-ढोल्लं (दे.) डमरु-डमरुगो वाद्य-वाइअं बजाना-वायणं भक्त-भत्तो धातु संग्रह लोट्ट-लेटना वंच-ठगना लोल-विलोडन करना वंज-व्यक्त करना लोव-लोपकरना, वक्कम-उत्पन्न होना बअल--पसरना, फैलना वक्खा--विवरण करना, कहना वईवय-जाना वंद-प्रणाम करना त्व और इत्त प्रत्यय ____ संस्कृत में इव (उसके जैसा) अर्थ में वत् प्रत्यय होता है । उस वत् प्रत्यय को प्राकृत में 'व्व' प्रत्यय आदेश होता है । नियम ६४४ (वते वः ॥१५०) वत् प्रत्यय को 'व्व' प्रत्यय होता - मथुरावत् पाटलिपुत्रे प्रासादा: (महुरव्व पाडलिपुत्ते पासाया) मथुरा के जैसे पाटलिपुत्र में प्रासाद हैं। क्षत्रियवत् शूराः (खत्तियव्व सूरा) क्षत्रिय के समान शूर हैं। साधुवत् त्यागी (साहुव्व चाई) साधु जैसा त्यागी है । पर्वतवत् ऊर्ध्वम् (पव्वयव्व उड्ढं) पर्वत जैसा ऊंचा है। सुशीलवत् धर्मिष्ठा (सुसीलव्व धम्मिट्ठा) सुशील के जैसे धार्मिक हैं। हुत्त प्रत्यय ___बार के अर्थ को बताने के लिए संस्कृत में कृत्वस् प्रत्यय आता है। प्राकृत में उस अर्थ के लिए हुत्त प्रत्यय का प्रयोग होता है । जैनागमों में हुत्त Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
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