SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 307
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७८ कर्मधारय और द्विगु समास शब्द संग्रह (स्त्री वर्ग २) पटरानी-महिसी कामीस्त्री-कामुआ अप्सरा-किंनरी कुलटा-कुलडा सुंदरी-सुंदरी उपपत्नी--अहिविण्णा राक्षसी-पिसल्ली, रक्खसी वन्ध्या -अवियाउरी (दे०) वेश्या-पणसुंदरी चंचलस्त्री-चवला चंडालिनी-आइंखिणिया स्वरूप-सरू वं वेदना-वेयणा काच--कायो साक्षात् --सक्खं भंडार-कोट्ठागारो कोप-कोवो घातु संग्रह पडिसव-शाप के बदले शाप देना पडिसम-विरत होना पडिसव–प्रतिज्ञा करना पडिसंहर-निवृत्त करना पडिसाड-सडाना पडिसंवेय-अनुभव करना पडिसंजल-उद्दीपित करना पडिसंचिक्ख-~-विचार करना पडिसंध-फिर से साधना पडिसंधा-आदर करना, स्वीकार करना कर्मधारय विशेष्य और विशेषण के अथवा उपमा और उपमेय के रूप में जहां दो शब्दों का मेल होता है, उसे कर्मधारय समास कहते हैं । अथवा जिस समास के विग्रह में दोनों पदों के साथ एक ही विभक्ति और एक ही लिंग आता है उसे कर्मधारय समास कहते हैं। कर्म का अर्थ है क्रिया। धारय का अर्थ धारण करने वाला। इस समास में सब पद एक ही क्रिया से अन्वित होते हैं। इसके छ भेद हैं (१) विशेषण पूर्वपद-जिसमें पूर्वपद विशेषण हो। कण्हो य सो सप्पो=कण्हसप्पो। (२) विशेषणोत्तरपद-जिसमें उत्तरपद विशेषण हो। आयरियो य य सो पवरो आयरियपवरो। (३) विशेषणोभयपद-जिसमें दोनों पद विशेषण हो। सीयं य तं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002024
Book TitlePrakrit Vakyarachna Bodh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1991
Total Pages622
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Grammar, & Literature
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy