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भविष्यत्कालिक प्रत्यय ( २ )
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नियम ६११ ( सोच्छादय इजादिषु हि लुक् च वर ३१७२) भविष्य अर्थ में होने वाले इच् आदि (इ, ए, न्ति, न्ते, इरे, सि, से, इत्था, ह, ए) प्रत्यय परे होने पर पूर्व नियम ६१० से होने वाले सोच्छं आदि रूप में अंतिम स्वर और अगला अवयव (अं) का वर्जन होता है और पूर्व नियम से होने वाला हि का लुक् विकल्प से होता है ।
सोच्छ + हिमि == सोच्छिमि, सोच्छेमि, सोच्छिहिमि, सोच्छेहिमि आदि ।
- एकवचन
प्रथमपुरुष -- सोच्छिइ, सोच्छेइ, सोच्छिहिइ, सोच्छे हिड सोच्छिए, सोच्छेए, सोच्छिहिए, सोच्छेहिए ।
,
मध्यमपुरुष -- सोच्छिसि सोच्छेसि सोच्छिहिसि, सोच्छे हिसि सोच्छिसे, सोच्छे से, सोच्छिहिसे, सोच्छेहिसे
उत्तमपुरुष — सोच्छं, सोच्छिमि, सोच्छिस्सामि, सोच्छिस्सं, सोच्छेस्सं, सोच्छेमि सोच्छे सामि, सोच्छिहिमि, सोच्छेहिमि, सोच्छिस्सामि, सोच्छेसामि, सोच्छिहामि, सोच्छेहामि ।
आर्ष प्राकृत में प्राप्त कुछ अन्य रूप
मोमो (मोक्ष्यामः)
करिस ( करिष्यति ) भविस्सामि ( भविष्यामि )
प्रयोग वाक्य
पिउणो पिट्ठम्मि पुत्तो आरुहइ । सीहस्स कडी पत्तली भवइ । तस्स टंका थूला अस्थि । जराए पाओ जाणुम्मि पीला भवइ । चाइणो पाएसु सव्वे नमति । णाही सरीरस्स मज्झभागे अस्थि । सत्यकिदियस्स ( स्वास्थ्य केंद्र ) ठाणं नियंबो विज्जइ । पासम्म केवलाई अत्थीइं संति । सिहं मुत्तस्स दारं अस्थि । हिययं विणा मणुअस्स किं महत्तणं ? पहियाए कंटगो लग्गिओ । धातु प्रयोग
भविस्सर ( भविष्यति ) रिस (चरिष्यति ) होक्खामि ( भविष्यामि)
राया पासायत्तो पच्चुत्तरइ । सीसा आयरिअस्स पच्चुवगच्छति । विज्जालयस्स निरिक्खिओ सत्तदिवसे सइं विज्जाल पच्चुवेक्खइ । अण्णाणी वत्थूइं पच्चोगिलिऊण खाअइ । सयणत्तो पच्चोणियवंतं बालं पासिऊण सव्वे रक्ख यत्तति । सो आसत्तो पच्चोंरुहइ । अहं कहिऊण न कया वि पच्चोसक्कामि । अहं पच्छामि भयंतं । सो णियंट्ठाणं पच्छाअइ । अज्ज पेरंत सो बालो कहं न पपइ ?
भविष्यत्कालिक प्रत्यय प्रयोग
रुक्खो कस्सि मासे फलिस्सइ ? सो गीइयं गाइहिइ । मज्भण्हे सूरिओ
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