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प्राकृत वाक्यरचना बोध
प्रत्यय के साथ अस् धातु को क्रमशः म्हि, म्हो और म्ह आदेश विकल्प से होता है । म्हि, (अस्मि) म्हो, म्ह (स्मः) । प्रयोग वाक्य
पडवाए केत्तिला जणा उवविसंति ? ववहारकुसलो सव्वत्थ (सब जगह) सम्माणं लभइ । देसाणं जुज्झं जया भवइ तया बहुनरसंहारो होइ । कालप्पभावेण पत्तेयं वत्थु जुन्नं हुवइ । किं तुज्झ पासे आयरिअभिक्खुणो पडिच्छाया विज्जइ ? जीवस्स किं लक्खणं अत्थि ? जो संघस्स विहडणं कुणइ सो कूरकम्माइं बंधइ । अस्थिवायस्स को विसारणं करेइ ? अज्जत्ता अणहो सरलो नरो दंडं लहइ । जणा अणं कुणंति परं फलं न इच्छंति । मज्झ पाडोसिओ भद्दो सुसीलो य अस्थि । धातु प्रयोग
किं तुमं धरसि ? कालप्पभावेण पव्वयो धंसइ। मोहणेण कहिअं अत्थ न आगंतव्वं तहवि सोहणो धरिसइ । आयासे तारा धिप्पंति । गिहे कस्सइ मच्चुस्स पच्छा सावगा गुरुं पासंति तया आयरिया ता धीरवंति। तवो कम्माई धुणइ । भूकंपे भूमी धसइ । जोगी एगे पोग्गले धाइ। विजयो वत्थाई धाइ। तुमेसुं को वेगेण धाइ ? तुमं पइदिणं वत्थाई कहं धुवसि ? प्राकृत में अनुवाद करो
भीषण गर्मी में तंबू की छाया में लोग बैठना चाहते हैं। वह कुशल कलाकार है । युद्ध में जीत हमारी होगी। जीर्ण वस्त्र शीघ्र फटता है। प्रधानमंत्री (पहाणमंती) के साथ वह अपनी फोटु चाहता है। अजीव का लक्षण क्या है ? जिसका योग (जोग) होता है उसका विघटन होता है। नास्तिक लोग आत्मा का खंडन करते हैं। वह अपने आपको निर्दोष कहता है। पापी से घृणा मत करो, पाप से करो। पडौसी के साथ अच्छा व्यवहार करो। धातु का प्रयोग करो ..
वह तप को धारण करता है । इस गांव का पर्वत कब नष्ट हो गया ? जो ढीठाइ करता है उसकी संगत मत करो । उसका भाग्य चमकता है। मुनि ने दुःखी परिवार को सान्त्वना दी। उसका मकान जमीन में धंस गया। मंगलवार को तुम नया सफेद वस्त्र क्यों धारण करते हो ? मुनि शुभकरण साधना शिखर पर ध्यान करते हैं। ऊंट मरुभूमि में सबसे तेज दौडता है। तपस्या से अपनी आत्मा को धोओ।
प्रश्न १. प्राकृत में आत्मनेपद कहां होता है ?
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