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शब्दरूप (१०)
शब्द संग्रह (स्फुट) पानी की तरंग-उल्लोलो
भक्ति-भत्ती आग्रह–अभिणिवेसो
लावण्य---लावण्णं कपट-कइअवं
अग्नि-हव्ववाहो कठोर--क कसो
सैन्यरचना--हं मनोरथ--मणोरहो
ईर्ष्या-इस्सा
धातु संग्रह भाव-चिंतन करना
भुक्क-भूकना भिंद-भेदना, तोडना
मंत-मंत्रणा करना भिक्ख---भीख मांगना
मक्ख-चुपडना, (घी, तेल भिड---भिडना, मुठभेड करना
आदि से) भुंज-भोजन करना
मज्ज---स्नान करना मद्द-मालिश करना संख्या शब्द
एक शब्द को छोडकर सभी संख्यावाची शब्द प्राकृत में तीनों लिंगों में एक समान चलते हैं।
नियम ५६६ (दुवे दोणि वेणि च जस्-शसा ३।१२०) जस् तथा शस् सहित द्वि शब्द को दुवे, दोण्णि, वेण्णि, तथा दो ये चार आदेश होते हैं। दुवे, दोण्णि, वेण्णि, दो ठिआ पेच्छ वा ।
नियम ५६७ (वर्दो वे ३११६) तृतीया आदि विभक्तियों में द्वि शब्द को दो और वे ये दो आदेश होते हैं । दोहि, वेहि । दोण्हं, वेण्हं । दोसु, वेसु ।
नियम ५६८ (स्तिण्णिः ३।१२१) जस् तथा शस् सहित त्रि शब्द को तिण्णि आदेश होता है । तिण्णि ।
नियम ५६६ (स्ती तृतीयादौ ३३११८) तृतीया आदि विभक्तियों में त्रि शब्द को ती आदेश होता है । तीहिं ।
नियम ५७० (चतुर श्चत्तारो चउरो चत्तारि ३।१२२) जस् तथा शस् के सहित चतुर् शब्द को चत्तारो, चउरो और चत्तारि आदेश होते हैं । चत्तारो, चउरो, चत्तारि चिट्ठति पेच्छ वा
नियम ५७१ (चतुरो वा ३३१७) उकारान्त चउ शब्द को भिस,
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